Deepa Jyoti Stotram | दीपज्योतिः | शुभं करोति कल्याणं

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Deepa Jyoti Stotram | दीपज्योतिः | शुभं करोति कल्याणं

Deepa Jyoti Stotram मंत्र सबसे महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है और लगभग सभी स्कूल या फिर शुभ कार्य के आरम्भ में दीप प्रज्वलन के समय दीप मंत्र का गायन किया जाता है ऐसी भी मान्यता है कि दीप मंत्र बोलने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है.

दीपज्योतिः शुभं करोति कल्याणं प्रातः-सायं दीपक प्रज्वलित कर मंत्र का जाप करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं। सायं के समय दीप प्रज्वलित कर मंत्र जाप करने का विशेष लाभ होता है, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, 

स्तोत्र का नामदीपज्योतिः शुभं करोति कल्याणं
संबंधितपरमात्मा
भाषासंस्कृत और हिंदी
सूत्रपुराण
शैलीप्रार्थना

Deepa Jyoti Stotram with Meaning – दीपज्योतिः

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदः
शत्रु-बुद्धि-विनाशाय दीपज्योतिर्नमोस्तुते ||

Shubham Karoti Kalyanam Arogyam Dhanasampadah
Shatru-Buddhi-Vinashaya Deepajyotirnamostute

हिंदी अर्थ : शुभ एवं कल्याणकारी, स्वास्थ्य एवं धनसंपदा प्रदान करनेवाली तथा शत्रुबुद्धि का नाश करनेवाली, हे दीपज्योति, मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं ।

English Meaning : Salutations to the light of the lamp, which brings auspiciousness, health and prosperity, which destroys inimical feelings.

Deepa Jyoti Stotram Details:

शुभंशुभता, सौभाग्य
करोतिकरता है
कल्याणंमंगल
आरोग्यंरोग से मुक्ति
धनसम्पदःधनसम्पत्ति (सुख संपत्ति को देने वाला)
शत्रु-बुद्धि-विनाशायशत्रु के बुद्धि के विनाश के लिए
दीपज्योतिदीपक का प्रकाश
नमोऽस्तु तेशत शत नमन

शुभं करोति कल्याणं हिंदी अर्थ सहित

शुभं करोति कल्याणं एक संस्कृत वाक्यांश है। इस वाक्यांश का उपयोग अक्सर हिंदू संस्कृति में एक आशीर्वाद या अच्छी तरह से काम करने वाले बयान के रूप में किया जाता है। यह किसी के जीवन में सकारात्मक और लाभकारी परिणामों के लिए इरादा और आशा व्यक्त करता है। यहाँ इस वाक्यांश के अर्थ और महत्व पर एक करीब से देखें:

  • शुभं : “शुभं” शब्द का अर्थ है शुभता, सौभाग्य, या जो सकारात्मकता लाता है। यह किसी के जीवन में अनुकूल और लाभकारी प्रभावों की उपस्थिति को दर्शाता है।
  • करोति: “करोति” शब्द संस्कृत क्रिया “कर” से लिया गया है जिसका अर्थ है “करने के लिए” या “के बारे में लाने के लिए।” यह किसी चीज को बनाने या प्रकट करने के कार्य का प्रतिनिधित्व करता है।
  • कल्याणं: “कल्याणं” अच्छाई, कल्याण, या जो समृद्धि और आध्यात्मिक कल्याण की ओर ले जाता है, को संदर्भित करता है। यह सकारात्मक विशेषताओं और अनुकूल परिस्थितियों को दर्शाता है जो समग्र खुशी और कल्याण में योगदान करते हैं।

वाक्यांश “शुभं करोति कल्याणं” का उपयोग अक्सर किसी की भलाई, सफलता और उनके जीवन में सकारात्मक परिणामों की अभिव्यक्ति के किया जाता है। यह शुभकामनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है

ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं

दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥

Diipa-Jyotih Para-Brahma Diipa-Jyotir-Janaardanah |
Diipo Haratu Me Paapam Diipa-Jyotir-Namostute ||

हिंदी अर्थ : दीप का प्रकाश परब्रह्म स्वरूप है । दीप की ज्योति जगत् का दुख दूर करनेवाला परमेश्वर है । दीप मेरे पाप दूर करे । हे दीपज्योति, आपको नमस्कार करता हूं ।

हे दीपज्योति ! तू हमारा शुभ करनेवाली, कल्याण करनेवाली, हमें आरोग्य और धनसंपदा देनेवाली, शत्रुबुद्धि का विनाश करनेवाली है । दीपज्योति, तुझे नमस्कार ! तू परब्रह्म है, तू जनार्दन है, तू हमारे पापों का नाश करती है, तुझे नमस्कार !

English Meaning : The light of the lamp represents the supreme brahman. The light of the lamp represents Janardana (Sri Vishnu). Let the light of the lamp remove my sins; Salutations to the light of the lamp.

अन्तर्ज्योतिर्बहिर्ज्योतिः प्रत्यग्ज्योतिः परात्परः।
ज्योतिर्ज्योतिः स्वयंज्योतिरात्मज्योतिः शिवोऽस्म्यहम्॥

antarjyotirbahirjyotiḥ pratyagjyotiḥ parātparaḥ।
jyotirjyotiḥ svayaṃjyotirātmajyotiḥ śivo’smyaham॥

हिंदी अर्थ : जो दिव्‍य प्रकाश मेरे अंदर है, जो दिव्‍य प्रकाश मेरे बाहर है और दुनिया में जो प्रकाश फैला है उसका स्त्रोत एक है। सभी प्रकाशपुंजों का स्रोत एक ही है और वो परमात्‍मा है, शिव है। इस दीपक को प्रतिदिन प्रकाशमान करने की शपथ लेता हूं।

English Meaning : The source of the divine light that is inside me, the divine light that is outside me and the light that is spread in the world is one. The source of all the beams of light is only one and that is the Supreme Soul, Shiva. I take an oath to light this lamp everyday.

प्रार्थना

कीटा: पतङ्गा: मशका: च वृक्षाः जले स्थले ये निवसन्ति जीवाः|
दृष्ट्वा प्रदीपं न च जन्म भाजा: सुखिनः भवन्तु श्वपचाः हि विप्रा:||

Keetah Patangah Mashakah Cha Vrukshah
Jale Sthale Ye Nivasanti Jivah
Drushtva Pradeepam Na Cha Janma Bhajah
Sukhinah Bhavantu Svapachah Hi Viprah

हिंदी अर्थ : हम यह प्रार्थना करते हैं कि इस दीप के दर्शन जिस जीव को भी हो रहे हों, चाहे वह कीट-पतंगे हों या फिर पक्षी। चाहे वह पेड़ हों या पौधे। धरती पर पाए जाने वाले जीव हों या फिर पानी में। मनुष्‍य हों या फिर कोई भी जीव, जो भी इस दीपक को देख रहा हो, उसके सभी पापों का नाश हो और उसे जन्‍म-मरण के चक्र से मुक्ति मिले। उसे सदैव सुख की प्राप्ति हो।

English Meaning : Whichever creature is having darshan of this lamp, be it insects or birds. Be it trees or plants. Be it creatures found on earth or in water. Be it a human or any other creature, whoever is looking at this lamp, all his sins are destroyed and he gets freedom from the cycle of birth and death. May he always get happiness.

दीपज्योतिः श्लोकपाठ के लाभ

  • ‘शुभं करोति कल्याणम् …’ जैसे श्लोक बोलने से दीप की स्तुति द्वारा अनिष्ट शक्तियों को निरस्त करने का मारक कार्य साध्य किया जाता है ।’
  • दीप जलाने के उपरांत स्तोत्र पाठ करने से बच्चों की स्मरण शक्ति बढती है, वाणी शुद्ध होती है एवं उच्चारण भी स्पष्ट होने में सहायता मिलती है ।’
  • सायं के समय दीप प्रज्वलित कर मंत्र जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है

दीपज्योतिः का महत्व – Importance of Deepa Jyoti

हिंदू परंपराओं में, दीपक या दिये को रोशन करना बहुत महत्व रखता है। यह ईश्वरीय ऊर्जा, प्रबुद्धता और अंधेरे के फैलाव की उपस्थिति का प्रतीक है।

  • आध्यात्मिक प्रतीकवाद: दीपक को प्रकाश देना हिंदू धर्म में एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। यह ज्ञान और अज्ञानता की रोशनी का प्रतिनिधित्व करता है। यह दिव्य की उपस्थिति का प्रतीक है, किसी के जीवन में प्रकाश और स्पष्टता लाता है।
  • देवताओं का आह्वान: धार्मिक समारोहों और प्रार्थना अनुष्ठानों में, दीपज्योतिः दीप को देवताओं को आमंत्रित करने और सम्मान देने के तरीके के रूप में जलाया जाता है।
  • शुभता और सकारात्मक ऊर्जा: दीपक की ज्योत को सकारात्मक ऊर्जा को उजागर करने और शुभ बनाने के लिए माना जाता है। इसका उपयोग अक्सर त्योहारों, अनुष्ठानों और आध्यात्मिक समारोहों के दौरान एक पवित्र वातावरण बनाने के लिए किया जाता है।
  • स्वयं की खोज: दीपक को रोशन करना न केवल एक बाहरी कार्य है, बल्कि स्वयं के भीतर आंतरिक प्रकाश के जागरण का भी प्रतीक है। यह आत्म-प्राप्ति, आध्यात्मिक ज्ञान और स्वयं की खोज की ओर यात्रा का संकेत देता है।
  • अनुष्ठान महत्व: घर और मंदिरों में दीप जलाना एक आम बात है। यह सुबह और शाम को एक दैनिक अनुष्ठान के रूप में आशीर्वाद देने, शांति लाने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए किया जाता है।

दीपज्योतिः दिव्य की उपस्थिति, ज्ञान की खोज, और आंतरिक रोशनी का प्रतीक है जो आध्यात्मिक जागृति की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष

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