पाप क्या है और पुण्य क्या है ?

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पाप क्या है और पुण्य क्या है ?

पाप क्या है और पुण्य क्या है : दोस्तों क्या आप जानना चाहते हे पाप क्या है ? क्या आप जानना चाहते हे पुण्य क्या हे ? तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें. क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको पाप क्या है और पुण्य क्या है ? के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं

कहानी :पाप क्या है और पुण्य क्या है ?
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः। 
तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥ ४/१६
 

हिंदी अर्थ : कर्म ही हैं जो व्यक्ति को पुण्य देते हैं या पाप देते हैं। पुण्य बाँधता है स्वर्गों में और भोगों में भटकाता है; पाप बाँधता है नरकों में तथा नीच योनियों में, दुःखों में भटकाता है, लटकाता है।

कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः। 
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः॥ ४/१७

हिंदी अर्थ : यह निर्णय करने में बड़े- बड़े बुद्धिमान लोग भी भ्रमित हैं कि कर्म क्या है और अकर्म क्या है? 
इसीलिए वह कर्मतत्त्व मैं तुम्हें भलीभाँति समझाकर बताऊँगा जिसे जानकर तुम अशुभ में अर्थात् कर्मबंधन से मुक्त हो जाओ। 

पाप क्या है ? पुण्य क्या है ?

कर्म किए बिना हम रह नहीं सकते। सब कर्म छोड़कर आलसी होकर बैठे रहें फिर भी कुछ-न- मन से, तन से कर्म होंगे ही।

कर्म के पलायन से कर्म का त्याग नहीं होता और कर्म करते रहने से भी कर्म का त्याग नहीं होता, 
कर्म करने में केवल सावधानी रखनी चाहिए।

अब प्रश्न ये  हे की एक ही कर्म पुण्य कैसे बनता है और वही कर्म पाप कैसे बन जाता है ! ? 

ज्ञान का साक्षात्कार होने के कारण मनुष्य जान जाता है कि एक ही कर्म पुण्य कैसे बनता है और वही कर्म पाप कैसे बन जाता है !

पाप और पुण्य में क्या अन्तर है?

काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, इर्षा ये छह शत्रु मन को उद्वेलित करते रहते हैं। इस आंतरिक शत्रुओं को पराजित करने के लिए आत्मज्ञान होना आवश्यक हे इससे ही तत्वज्ञान की प्राप्ति होती हे । इन आंतरिक शत्रु को स्थित करने पर मनुष्य दुख और पाप से मुक्त हो जाता है। ऐसे मनुष्य को स्थितप्रज्ञ कहते हे | मन के भीतर झांकते ही इन आंतरिक शत्रुओ का नाश आरंभ हो जाता है।

पाप व पुण्य तो आपकी इन्द्रिय यानी आंखों में हैं। सड़क पर किसी सुंदर लड़की को देखकर आप मन में सोचते हो कि परमात्मा ने कितनी अच्छी रचना की है मैं इस रचना के लिए परमात्मा को धन्यवाद देता हूं। लेकिन दूसरी और उसी महिला को देखकर मन में कुविचार उठता हे वह विचार उसके मन को व्यग्र बना देता है यहु पाप हे
इस तरह पाप और पुण्य दोनों आप कर रहे हैं। अब आप ही निर्णय करें कि पाप क्या है और पुण्य क्या?

पाप और पुण्य की क्या परिभाषा है?

उदाहरण के तौर पर एक कर्म को लो ! एक मनुष्य ने दूसरे मनुष्य की हत्या कर दी है तो मुख्य कर्म क्या हुआ? हत्या करना ! परंतु यही कर्म पुण्य भी हो सकता है और पाप भी !आइए जानते हैं कैसे !अगर एक मनुष्य किसी कमजोर बूढ़े व्यक्ति का धन लूटने के लिए उसकी हत्या कर देता है तो निश्चय ही वो पाप है !

और यदि एक दुष्ट मनुष्य किसी अबला स्त्री के साथ ज़बरदस्ती बलात्कार करने की कोशिश कर रहा है तो उस अबला की रक्षा के लिए यदि बलात्कार करने वाले की हत्या हो जाती है तो वो क्या होगा ?ये तो स्पष्ट है कि किसी असहाय अबला की रक्षा करना पुण्य होगा !

कर्म तो वही रहा किसी की हत्या करना परंतु उस कर्म के पीछे भावना क्या है, मारने वाले की नियत क्या है इसी के फर्क से एक ही कर्म पाप हो सकता है अथवा पुण्य !जिस भावना जिस नीयत से मनुष्य कर्म करता है उस नीयत के कारण एक ही कर्म किसी के लिए पाप बन जाता है तो किसी के लिए पुण्य बन जाता है !

कर्म के इस प्रारम्भ के द्वारा ही मनुष्य को कर्म, अकर्म और विकर्म की पहचान होती है !

कर्म के प्रकार

निष्काम कर्म (अकर्म) – फल की इच्छा से रहित कर्म – जो सुख-दुख, सर्दी-गर्मी, लाभ-हानि, जीत-हार, यश-अपयश, जीवन-मरण, भूत-भविष्य की चिन्ता न करके मात्र अपने कत्र्तव्य कर्म में लीन रहता है, वही सच्चा निष्काम कर्मयोगी है। परमात्मा स्वंय सृष्टि का नियामक संचालक होते हुए भी हमें विवेक बुद्धि देकर हमें कर्मों का अधिष्ठाता बनाया है। हमें कर्म करने की पूरी छूट है।ईश्वर की इच्छा ही जब हमारी इच्छा बन जाती है, तो यह अकर्म बन जाता है

कर्म – कर्म फल की इच्छा से किये गए कर्म  – कर्म यदि कर्मफल की प्राप्ति की कामना से कर्म करता है तो कर्म का फल उसे अवश्य मिलेगा

विकर्म – विकर्म(Vikarma) – असत्य, कपट, हिंसा आदि अनुचित और निषिद्ध कर्म विकर्म(Vikarma) है अहंभाव तथा दुर्वासनाओं से प्रेरित होते हैं, ऐसे कर्म विकर्म कहलाते हैं। उनसे बचना चाहिए। 

अंतिम बात :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “पाप क्या है और पुण्य क्या है ?” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने  पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | 

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