Bala-Mukundashtakam | बालमुकुन्दाष्टकम् | करारविन्देन

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Bala-Mukundashtakam - बालमुकुन्दाष्टकम् | करारविन्देन

Bala-Mukundashtakam बालमुकुन्दाष्टकम् को शांत मन के साथ, अपने आप को श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य की प्राप्ति, कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं |  इसे पढ़ने से भय, तनाव और असुरक्षा की भावना निकल जाती है। इसलिए सभी को बालमुकुन्दाष्टकम् का पाठ करना चाहिए 

बाला मुकुंद अष्टकम ‘कररविन्देना पदारविंदम‘ के रूप में शुरू होता है। यह भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रार्थना है।

Bala-Mukundashtakam Stotram Detail :

स्तोत्र का नामबालमुकुन्दाष्टकम्
संबंधितप्रभु श्री कृष्ण
भाषासंस्कृत और हिंदी
सूत्रपुराण

Bala-Mukundashtakam with Meaning | बालमुकुन्दाष्टकम् अर्थ सहित

करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तं
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Kararavindena Padaravindam Mukharavinde Viniveshayantam
Vatasya Patrasya Pute Shayanam Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : मेरा मन बाल कृष्ण का सुमिरण करता है। वट वृक्ष (बड़ का पेड़) की पत्तियों पर करते हुए, कमल के सादृश्य कोमल पांवों को, कमल के समान हाथ से पकड़ा हुआ है और पांवों के अंगूठे को कमल सादृश्य मुख में रखा हुआ है। ऐसी अवस्था में बाल कृष्ण पत्तियों पर सो रहे हैं, विश्राम कर रहे हैं।  मैं (साधक) उस बाल स्वरुप ईश्वर को अपने मन में धारण करता हूँ।

संहृत्य लोकान्-वटपत्रमध्ये शयनं-आद्यन्तविहीन रूपम्
सर्वेश्र्वरम् सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Samhrutya Lokan-Vatapatramadhye Shayanam-Adyantavihina Rupam
Sarveshwaram Sarvahitavataram Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : श्री बाल कृष्ण समस्त लोक/जगत को बड़ (वट) के पत्तों में बाँधने वाले हैं, इसके मध्य में बाल कृष्ण सोकर विश्राम करते हैं। उनका यह रूप आदि और अंत से परे है। श्री कृष्ण सभी के स्वामी हैं, ईश्वर हैं। उनका यह अवतार सभी लोगों के संताप को दूर करने और हितकर के लिए है। बाल मुकुंद के इस रूप का मैं (साधक) सुमिरण करता है, याद करता है।

इन्दीवर-श्यामल-कोमलाङ्गं इन्द्रादि-देवार्चित-पादपद्मं
संतानकल्प-द्रुममं-आश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Indira-Shyamala-Komalangam Indradi-Devarchita-Padapadmam
Santanakalpa-Drumam-Ashritanam Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : बाल कृष्ण नीले कोमल कमल के समान है। इनके अंग कोमल हैं। इनके चरण कमल की पूजा इंद्र और अन्य देवताओं के द्वारा की जाती है। इनके चरण कमल में आश्रय पाने वाला अपनी इच्छाओं को कल्पतरु की भांति पाता है, भाव है की जैसे कल्पतरु से समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं, श्री कृष्ण के चरण कमल में आश्रय पा लेने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं।

लम्बालकं लंबित-हारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्कित-दन्तपङ्क्तिं
बिम्बाधरं चारुविशाल-नेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Lambalakam Lambita-Harayashtim Shrungara-Leelankita-Dantapanktim
Bimbadharam Charuvishala-Netram Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : बाल कृष्ण के लम्बे और घुंघराले बाल हैं। श्री कृष्ण एक लम्बा हार गले में धारण किये हुए जो लटक रहा है, गले में शोभित है। बाल कृष्ण के होंठ बिम्ब फल की भाँती हैं। उनके दांत एक पंक्ति में शोभित हैं जो प्रेम उतपन्न करते हैं। श्री बाल कृष्ण के नयन सुन्दर और विशाल हैं। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

शिक्ये निधायाद्य-पयोदधीनि बहिर्गतायं व्रजनायिकायां
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Shikye Nidhayadya-Payodadhini Bahirgatayam Vrajanayikayam
Bhuktva Yatheshtam Kapatena Suptam Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : बाल कृष्ण मधानी में से दूध और दही को चुराते हैं, जब बृज की गोपिकाएं घर से बाहर चली जाती हैं। दही माखन खाने के बाद वे निंद्रा में होना प्रदर्शित करते हैं। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

कलिन्दजान्त-स्थितकालियस्य फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तं
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Kalindajanta-Sthitakaliyasya Phanagrarange Natanapriyantam
Tatpucchahastam Sharadinduvaktram Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : कलिंद पहाड़ जहाँ से यमुना नदी निकलती हैं, जहाँ पर कालिया नाग है, उस कालिया नाग के फन के ऊपर बाल कृष्ण ने नृत्य किया। कालिया की पूँछ को बाल कृष्ण में पकड़ कर घुमा मारा और उनका मुख शरद के चाँद जैसा शोभित हो रहा है। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

उलूखले बद्धं-उदारशौर्यम् उत्तुङ्ग-युग्मार्जुन-भन्गलीलं
उत्पुल्ल-पद्मायत-चारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Ulukhale Baddham-Udarashauryam Uttunga-Yugmarjuna-Bhangaleelam
Utpulla-Padmayata-Charunetram Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : जिनको उनकी माता के द्वारा लकड़ी की ओंखली के साथ बाँध दिया गया था लेकिन उनका मस्तक वीर के जैसे चमक रहा है। जिन्होंने अर्जुन के वृक्ष को अपने शरीर से उखाड़ दिया है, यह उनकी लीला है। उनकी विशाल आँखें कमल के के पत्तों के सादृश्य सुन्दर हैं। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

आलोक्य मातुर्मुखमादरेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षं
सच्चिन्मयं देवं-अनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||

Alokya Maturmukhamadarena Stanyam Pibantam Sarasiruhaksham
Sacchinmayam Devam-Anantarupam Balam Mukundam Manasa Smarami

हिंदी अर्थ : श्री कृष्ण दूध के पान के समय अपनी माता को देखते हैं, स्तनपान करने के वक़्त उनका मुखमण्डल कमल के समान सुन्दर लग रहा है, जैसे कोई कमल झील के किनारे पर स्थित हो। उनका पूर्ण और सत्य रूप असीम लग रहा है। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ। 

बालमुकुन्दाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं ?

  • बालमुकुन्दाष्टकम् का पाठ करने से भक्त को मन की शांति मिलती है और वह व्यक्ति सभी बुराइयों और बुरे विचारों से दूर रहता है।
  • बालमुकुन्दाष्टकम् स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हे और आत्मविश्वास बढ़ता हे
  • बाला मुकुंद अष्टकम का पाठ करने से कठिन से कठिन समय का सामना करके हर समस्या से जीता जा सकता है।
  • बालमुकुन्दाष्टकम् का पाठ आपको सभी समस्याओं से मुक्ति देने में मदद करता हे
  • बाला मुकुंद अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति का डर भी दूर हो जाता हे
  • जो कोई भी इस बालमुकुन्दाष्टकम् स्त्रोत का पाठ करने से जीवन में आने वाली विपत्तियाँ दूर होती हैं
  • पूरी भक्ति के साथ इस बालमुकुन्दाष्टकम् स्त्रोत का पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
  • अपने घर में प्रतिदिन इस बालमुकुन्दाष्टकम् स्त्रोत का पाठ करने से आपके घर से हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही परिवार में विवादों को रोकता है और सुख और शांति बनाए रखने में मदद करता है।

बालमुकुन्दाष्टकम् स्त्रोत का महत्व – Importance of Bala-Mukundashtakam

बालमुकुन्दाष्टकम् एक भक्तिपूर्ण भजन है, जिसे आदी शंकराचार्य, एक श्रेष्ठ दार्शनिक और हिंदू धर्म के धर्मशास्त्री द्वारा रचित किया गया है। यह अपने बचपन के रूप में भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिसे बाला-मुकुंडा या बाला-कृष्णा के नाम से जाना जाता है। बालमुकुन्दाष्टकम् भक्तों के लिए महत्व रखता है और कई पहलुओं पर ध्यान देने योग्य है:

  • भक्ति और कनेक्शन: बालमुकुन्दाष्टकम् गहरी भक्ति को व्यक्त करने और भगवान श्रीकृष्ण के साथ एक व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। यह भक्तों को श्रीकृष्ण के दिव्य गुणों का ध्यान करके उनके साथ एक प्यार भरे संबंध विकसित करने की अनुमति देता है।
  • दिव्य विशेषताएँ: इस भजन में श्रीकृष्ण की दिव्य विशेषताओं का खूबसूरती से वर्णन किया, जो उनकी मासूमियत, आकर्षक उपस्थिति, मुस्कान, चंचलता और आशीर्वाद देने और इच्छाओं को पूरा करने की क्षमता को उजागर करता है। यह भक्तों को भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों से जुड़ने में मदद करता है और श्रद्धा की भावना पैदा करता है।
  • आध्यात्मिक महत्व: बालमुकुन्दाष्टकम् केवल एक काव्यात्मक रचना नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक महत्व रखता है। बालमुकुन्दाष्टकम् का पाठ करना मतलब की मन को शुद्ध करना, भक्ति को जगाना और आध्यात्मिक विकास का नेतृत्व करना हे । यह भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद की तलाश करने और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर प्रगति करने का एक साधन है।
  • स्मरण और ध्यान: बालमुकुन्दाष्टकम् बाला-कृष्णा के रूप, गुणों और अतीत पर स्मरण और ध्यान के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। यह मन की एक केंद्रित और चिंतनशील स्थिति की देखभाल करने में मदद करता है, जिससे भक्तों को दिव्य उपस्थिति में गहराई तक पहुंचने में सक्षम बनाया जाता है और ईश्वरीय आनंद की भावना का अनुभव होता है।

बालमुकुन्दाष्टकम् भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है। भजन के माध्यम से, भक्त खुद को बाला-मुकुंडा की आनंदित और करामाती दुनिया में डुबो सकते हैं

निष्कर्ष 

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