धन का महत्व | Shiv Gyan Importance of Money | Devon ke dev

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धन का जहाँ जीवन के भौतिक विकास में महत्वपूर्ण उपयोग है वहाँ आध्यात्मिक जीवन में भी एक भारी उपयोग है कि वह मनुष्य की वास्तविकता को परखकर रख देता है। लोभ को पाप का फल माना गया है। अनीति की कमाई किसी भी मनुष्य के लिए घृणित एवं पतित होने का सबसे बड़ा प्रमाण हो सकता है

धर्मात्मा की प्रथम परीक्षा यह है कि वह परिश्रम की कमाई पर संतोष करे, धन का सदुपयोग करे, और जो बचे उसे जनकल्याण के लिए लगाता रह कर स्वयं अपरिग्रही बना रहे।

धन का महत्व तभी है जब वह नीतिपूर्वक कमाया गया हो और सदुद्देश्यों के लिए उचित मात्रा में खर्च किया गया हो। अनीति से कमाया तो जा सकता है, पर जिन लोगों के द्वारा वह कमाया गया है, जिनका शोषण हुआ है उनका विक्षोभ सारी मानव-सभ्यता के लिए घातक परिणाम उत्पन्न करता है।

Shiv Gyan Importance of Money | Devon ke dev

धन का महत्व समझने के हम एक उदाहरण देखते हे

एक लड़का था जो अपने माता पिता के साथ एक गाव में रहता था वह लड़का पढने लिखने में तेज था लेकिन उसके दोस्तों की सोच थी की यदि वे पढ़लिखकर कोई नौकरी प्राप्त कर ले तो उनका जीवन सुखमय हो जाएगा और इस दुनिया की कोई भी वे सुख अपने धन दौलत से खरीद सकते है लेकिन वह लड़का अक्सर उनके बातो से सहमत नही होता था और जिसके कारण उसके मन में अनेक विचार आते रहते थे
इसी बात का जिक्र उस लड़के ने अपने पिताजी से किया | कहा की पिताजी क्या अगर हमारे पास ढेर सारा धन हो जाए तो क्या हम दुनिया के सबसे ख़ुशी इन्सान हो सकते है ?
तब उस लड़के के पिताजी ने अपने बगीचे के लिए आम का एक नन्हा सा पौधा लाये और फिर अपने बेटे के साथ अपने बगीचे में उसे लगाने जाते है फिर अपने बेटे के साथ मिलकर उस आम के पौधे को जमीन में लगा देते है
तो इसके बाद उस लड़के के पिताजी कहते है की देखो बेटा तुमने पूछा था की क्या धन से ही सारे सुख प्राप्त किया जा सकता है तो इस आम के पेड़ को देखो और सोचो की  क्या हमने इसे बेकार में ही लगा दिया है क्यूकी इस पौधे को पेड़ बनने में काफी समय लगेगा और फिर इस पर फल आने में भी वक्त लगेगा और हो सकता है की इसके फल हमे खाने को मिले या ना मिले इससे हम सभी यही सोचते है की यह समय की बर्बादी है
तो ठीक है तुम जरा सोचो अगर सब लोग यही सोचने लगे की भला हम क्यू पेड़ लगाये अगर हमे फल खाना ही है तो हम अपने पैसो से बाजार से फल खरीदकर खा सकते है जो की बिना समय गवाए तुंरत मिल जाता है
तो सोचो जब सबका यही सोच होगा की धन से सबकुछ ख़रीदा जा सकता है ऐसे में कोई भी इन पेड़ो को नही लगाएगा तो एक दिन ऐसा भी आएगा की इस धरती पर सबके पास तो खूब धन दौलत तो सकता है लेकिन जब फल देने वाले पेड़ पौधे नही होंगे तो सोचो भला इन पैसो का क्या मोल जब इनसे खाने के लिए भोजन और फल आदि न मिले तो सबसे पहले हम सभी को अपनी सोच बदलनी चाहिए
अपने पिता से यह सब बाते सुनकर उस लड़के को समझ में आ गया था की हम सब तो यही सोचते है की चलो अगर सब ढेर सारा धन कमा भी ले तो धन का कोई मोल नही होता जब तक इस धन की कोई कीमत ही न हो

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