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राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -107
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीये संसार बहुत ही बड़ा है और हम उसके सामने बहुत ही छोटे है। इस संसार में लाखों लोग ऐसे मिल...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -106
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी“अग्नि” जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है ये अग्नि। ये अग्नि ही है जो ऊर्जा बन कर हमें जीवित रखती...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -110
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीआपके विचार से मैं क्या कर रहा हूँ? आप कहेंगे मैं दीपक जला रहा हूँ, सही। किन्तु प्रश्न ये उठता है...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -109
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीक्या आप इस मकड़ी के जाले को देख रहे है? मकड़ी बड़े ही परिश्रम से इसे बनाती है अपने शरीर के...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -108
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीये है एक कोमल सा धागा सोचता हूँ यदि मैं इससे वस्त्र बुन लूँ तो स्वयं के लिए कितनी सुन्दर...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी -111
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी“समय” कितना विचित्र होता है। समय हमारे साथ हो तो हम स्वयं को राजा मान लेते है। वही समय यदि विरुद्ध...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 70
कभी-कभी आपके मन में ये प्रश्न नहीं उठता कि इस संसार में ऐसा क्या है जिसे पाना असम्भव है? उठता है, मेरे मन में...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 69
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी
शीत ऋतु की संध्या में इन जलती हुई लकड़ियों पर हाथ तापना किसे नहीं भाता? कितने प्रहर बीत जाते है लकड़ियों...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 68
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी
आज मैं आपसे तीन प्रश्न पूछूंगा। तो पहला प्रश्न – ऐसा कौन है जिस पर लगातार प्रहार करने के पश्चात भी वो...
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 67
राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीसबसे अच्छा युद्ध वो जो कभी लड़ा ही ना जाये अर्थात “समझौता”, “संधि” हर आवश्यक परिस्थिति में शुभ होता है।अपने से...
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