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राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 40

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी जबसे मनुष्य का जन्म हुआ है, जन्म हुआ है “जान-पहचान” का और आज के युग में तो व्यक्ति का मूल्यांकन ही...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 39

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी हम मनुष्य साथ रहते है। आनंद, पीड़ा मिल-जुल कर बांटते है, समय पड़ने पर सहायता देते है, सहायता लेते भी है। किन्तु क्या...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 38

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी लोग सदैव मुझसे ये प्रश्न करते रहते है कि मित्रता का मतलब क्या है, इस प्रेम का मतलब क्या है? और मैं,...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 37

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी हमारे पास अक्सर बहुत लोग आते है, कुछ को हम समय देते है, कुछ का हम तिरस्कार करते है। किन्तु तिरस्कार...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 36

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीहम अपने संबंधों के साथ जीते है, उत्सव मनाते है,खेलते है, खाते है, आनंद मनाते है। किन्तु जब कोई प्रिय हमसे दूर...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 35

हम सबको कभी ना कभी तो क्रोध आता ही है और आएगा भी। मनुष्य है, इन्हीं भावों से हम जुड़े है। किन्तु ये क्रोध...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 34

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीअक्सर आपके बड़े-बूढ़ों ने आपसे कहा होगा कि ये संसार दुःख का मूल हैऔर ईश्वर भक्ति उस दोष से दूर जाने...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 33

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीकभी आपने सोचा है इस संसार में हम सबसे अधिक किससे जुड़े है?अब कोई कहेगा माता-पिता, कोई कहेगा मित्र, कोई कहेगा...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 32

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीयदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥जब जब धरती पर पाप बढ़ता है, धर्म की हानि होती है...

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी – 31

राधाकृष्ण | कृष्ण वाणीजीवन में हम कई लोगों से मिलते है,आप भी ऐसे कई लोगों से मिले होंगे जिन्होंने स्वयं को असफल मान लिया हो, निराश...

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