एकादशी त्यौहार का महत्व – Ekadashi 2023

319
एकादशी त्यौहार का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देव विश्राम करने चले जाते हैं और फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी प्रबोधिनी एकादशी के दिन ही उठते हैं,इसीलिए इसे देवउठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है।

कहानी :एकादशी त्यौहार का महत्व
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

एकादशी त्यौहार का महत्व – Ekadashi 2023

प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है | आज के दिन शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है | कहते हैं कि जो कोई भी ये शुभ कार्य करता है, उनके घर में जल्द ही शादी की शहनाई बजती है और पारिवारिक जीवन सुख से बीतता है | 

तुलसी और शालीग्राम के विवाह का आयोजन ठीक उसी प्रकार से किया जाता है, जैसे कि कन्या के विवाह में किया जाता है | 

तुलसी का पौधा पर्यावरण तथा प्रकृति का भी द्योतक है। अतः इस दिन यह संदेश भी दिया जाता है कि औषधीय पौधे तुलसी की तरह सभी में हरियाली एवं स्वास्थ्य के प्रति सजगता का प्रसार हो। इस दिन तुलसी के पौधों का दान भी किया जाता है। चार महीनों के शयन के पश्चात जागे भगवान विष्णु इस अवसर पर शुभ कार्यों के पुनः आरंभ की आज्ञा दे देते हैं।

Ekadashi Festival Diwali Video

अंतिम बात :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “एकादशी त्यौहार का महत्व कहानी” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने  पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | 

हमे उम्मीद हे की आपको Ekadashi 2023 वाला यह आर्टिक्ल पसंद आया होगा | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏