तृणावर्त दैत्य का वध – Trinavrat VAdh shree krishna ramanand sagar

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तृणावर्त दैत्य का वध

कंस का मित्र राजा बाणासुर मिलने आता है और अपने साथ एक राक्षस तृणावर्त को लेकर आता है ताकि वो कंस की कृष्ण को मारने के लिए मदद कर सके। 
Trinavrat Vadh shree krishna ramanand sagar

तृणावर्त गोकुल में जाकर बहुत तेज बवंडर से गोकुल में तबाही मचाने लगता है। वह यशोदा के हाथ से श्री कृष्ण को उड़ा कर अपने साथ ले जाता है। लेकिन श्री कृष्ण तृणावर्त का गला दबाकर उसकी मृत्यु कर देते हैं। 
बाणासुर कंस को कंक समय शांत रहने के लिए कहते हैं और बालक को कुछ समय के लिए भूल जाने के लिए कहता है। देवकी और वसुदेव श्री कृष्ण को याद करते हैं। 
नारद जी भगवान शिव के पास जाते हैं और श्री कृष्ण के बारे में बताते हैं तो भगवान शिव भी एक साधु का वेश धारण कर भिक्षा के बहाने श्री कृष्ण के दर्शन करने के लिए गोकुल पहुँच जाते हैं।

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