समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी नहीं मिलता । Spiritual story

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समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी नहीं मिलता ।

क्यों नहीं मिलता ? इसे जानने के लिए हम एक कहानी से प्रेरणा लेंगे

आज जो भी हमारे साथ अच्छा बुरा घटित हो रहा है । वह हमारे पूर्व जन्मों का कर्मफ़ल ही है ।

दोस्तो,ये कहानी हे एक दरिद्र परिवार की जो बेहद दुखी थे | एक दिन माता पार्वती जब आकाश मार्ग से कहि जा रही थी तो उन्होंने ये परिवार की स्थिति देखकर उन परिवार पर दया आ गयी और माता पारवती ने भगवान् से अनुरोध किया की प्रभु आप तो सर्व शक्तिमान हैं, आप इन पीडितों का कल्याण क्यों नहीं करते?

भगवान् शिव उत्तर में केवल मुस्कुराये और बोले “देवी! ये स्थिति उनका प्रारब्ध हे फिर भी आप जैसा कहें, वैसे में इनको सहायता प्रदान करता हु

माँ पार्वती के कहने पर भगवान् शिव उनको एक-एक वरदान देने पर राजी हो गये ।

भगवान् शिव-माँ पार्वती परिवार के समक्ष प्रकट हुए और सबको अपनी इच्छा अनुसार वरदान मांगने के लिए कहा | महिला और उनका परिवार यह सुनकर बहुत खुश हो गए |

सबसे पहले महिला ने वरदान की याचना की और बोली – भगवान् आप मुझे दुनिया की सबसे सुन्दर महिला बना दें ।

प्रभु के तथास्तु कहते ही वो महिला सुन्दर युवती में बदल गयी । उसका पति यह देखकर मन ही मन सोचने लगा की अब वो मुझे छोड़कर चली जाएगी । उससे अपनी पत्नि की ख़ुशी सहन नहीं हो रही थी। अब वरदान मांगने की बारी वह महिला के पति की थी । और

उसने माँगा “ भगवान् मेरी पत्नि को कुरूप राक्षसी बना दो । प्रभु के तथास्तु कहते ही वो महिला सुन्दर युवती से राक्षसी बन गयी । ये इच्छा भी पूरी हो गयी ।

उनका बच्चा अपनी माँ का रूप देखकर रोने लगा । उससे वरदान मांगने को कहा तो वह रोते रोते बोला-“ भगवान्! मेरी माँ जैसी थी उसको वैसा ही बना दो ।

उसकी माँ अपने असल रूप में वापस आ गयी । तीनो वरदान भी मांग लिए गये, पर स्थिति वैसी की वैसी ही रही ।

वहां से लौटते हुए भगवान् शिव ने, माँ पार्वती से कहा – हम चाहे तभ भी मनुष्य के भाग्य को बदल नहीं सकते सबको अपने अपने कर्मो का फल जरूर मिलता हे इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में भगवान शिव कहते हे की में किसीके भाग्य में हस्तक्षेप नहीं करता जैसा मनुष्य का कर्म होता हे वैसा ही उनका भाग्य बनता हे

दोस्तों प्रारब्ध हमारा भूतकाल हे उन्हें बदला नहीं जा सकता लेकिन अपने वर्तमान कर्म तो हम चुन ही सकते हैं। इसीलिए वर्तमान में हम जो भी कर्म करते हे उन्हें सोचसमझकर करना चाहिए

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