Lord Ganesha Parshuram – श्रीगणेश और परशुराम में युद्ध क्यों हुआ था ?

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Lord Ganesha Parshuram - श्रीगणेश और परशुराम में युद्ध क्यों हुआ था

Lord Ganesha Parshuram : भगवान गणेश देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं। एक बार की बात है, जब भगवान शिव और देवी पार्वती अपने शयन कक्ष में विश्राम कर रहे थे। उस समय देवी पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया कि वह उनके कक्ष के बाहर पहरा दें और किसी को भी अंदर न आने दें। मां की आज्ञा गणेश जी के लिए आदेश थी। उन्होंने वैसा ही किया और कक्ष के बाहर निगरानी  देने लगे।

कहानी :श्रीगणेश और परशुराम में युद्ध क्यों हुआ
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

श्रीगणेश और परशुराम संवाद

उसी समय अचानक परशुराम वहां पहुंच गए। परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए बहुत उत्साहित थे। दरअसल, उस समय पृथ्वी पर राजा कार्त्तवीर्य का अत्याचार बहुत बढ़ गया था और परशुराम ने इसी कारण उसे मार दिया था। यह खबर भगवान शिव को देने के लिए ही वह कैलाश पहुंचे थे।

भगवान शिव के कक्ष की ओर परशुराम को तेजी से बढ़ता देख गणेश जी उनके रास्ते में आ गए और उन्हें रुकने को कहा, लेकिन परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए बहुत उत्सुक थे, इसलिए उन्होंने कहा कि मुझे भगवान शिव से मिलना ही है।

श्रीगणेश और परशुराम में युद्ध क्यों हुआ था ? Lord Ganesha Parshuram story in hindi

परशुराम की इस बात को सुनकर गणेश जी बोले- ‘मैं आपको अंदर जाने नहीं दे सकता। मां ने किसी को भी अंदर न आने का आदेश दिया है।’

गणेश जी की यह बात सुनकर परशुराम क्रोधित हो गए। उन्होंने कहा- ‘तुम मुझे भगवान शिव से मिलने से नहीं रोक सकते। तुम नहीं जानते, मैं कौन हूं।’

इस पर गणेश जी ने कहा- ‘आप कोई भी हों, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे लिए मां का आदेश सबसे जरूरी है। मैं आपको किसी भी हालत में अंदर नहीं जाने  दे सकता।’

गणेश जी की इन बातों से परशुराम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वह बोले- ‘अगर तुम मुझे अंदर नहीं जाने दोगे, तो मैं तुम्हे हटाकर अंदर जाऊंगा।’ इतना कहकर परशुराम आगे बढ़ते हैं, लेकिन गणेश जी परशुराम को अंदर जाने से रोकने के लिए धक्का दे देते हैं और परशुराम दूर जाकर गिरते हैं।

श्रीगणेश और परशुराम के बीच हुआ युद्ध

खुद का अपमान होता देख परशुराम जी, गणेश जी को सबक सिखाने के लिए कई अस्त्र-शस्त्र का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनका गणेश जी पर कोई असर नहीं होता। 

अंत में परशुराम जी, शिवजी द्वारा दिया गया फरशा  गणेश जी को मारने के लिए प्रयोग करते हैं। वह  फरशा भगवान शिव का था, इसलिए गणेश जी उसे पहचान जाते हैं और उसका सम्मान करते हुए उसका वार अपने एक दांत पर ले लेते हैं। 

फरशा की चोट के कारण गणेश जी का दांत टूट कर जमीन पर गिर जाता है और गणेश जी दर्द से तड़पने लगते हैं। गणेश जी की दर्द भरी आवाज सुनकर माता पार्वती और पिता भगवान शिव अपने कक्ष से बाहर आ जाते हैं और गणेश जी की यह हालत देख परशुराम पर क्रोधित हो जाते हैं।

भगवान शिव और पार्वती को गुस्से में देख परशुराम को अपनी भूल का एहसास होता है और वह अपने किए पर क्षमा मांगते हैं।

परशुराम की क्षमा पर माता पार्वती कहती हैं कि एक ऋषि होते हुए भी आपका क्रोध पर नियंत्रण नहीं है। क्षमा मांगने से क्या अब मेरे पुत्र गणेश का दांत वापस आ जाएगा।

परशुराम कहते हैं कि जो भी हुआ वह मेरी बड़ी भूल थी, लेकिन इस घटना के कारण अब गणेश का आधा दांत व्यर्थ नहीं जाएगा। इस घटना के कारण ही अब से पूरी दुनिया में गणेश को एक दंत (एक दांत) के नाम से जाना जाएगा।

अंतिम बात :

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