नारी सुरक्षा और हमारा समाज | क्यों भर आये श्रीकृष्ण की आँखों में आंसू

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क्यों भर आये श्रीकृष्ण की आँखों में आंसू

क्यों भर आये श्रीकृष्ण की आँखों में आंसू : क्या नारी जाति का रक्षण हमारा कर्तव्य नहीं हे स्वयं विचार कीजिये !!! वैदिक भारत में नारी का स्थान पूजनीय व् सम्मानित था | परंतु आज के समाज में नारी को अपने सम्मान एवं सुरक्षा हेतु सदैव पुरुषों पर आश्रित रहना पड़ता हे | 

बचपन में पुत्री के रूप में पिता पर आश्रित, युवावस्था में पत्नी के रूप में पति पर और वृध्दावस्था में माँ के रूप में पुत्र पर आश्रित रही है | 

कहानी :क्यों भर आये श्रीकृष्ण की आँखों में आंसू
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

क्यों भर आये श्रीकृष्ण की आँखों में आंसू

आज के आधुनिक युग में जहाँ स्त्री आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो चुकी है किन्तु सम्मान व सुरक्षा की दृषिट से काफी असहाय व् असहज अवस्था में है | दिन प्रतिदिन स्त्रियों के साथ छेड़ छाड़ व् बलात्कार के घटनाये घटती रहती है

कौन करेगा उनके सम्मान की रक्षा ये हम सभी के लिए एक प्रश्न हे ? क्या नारी जाति के सम्मान की रक्षा हम स्वयं नहीं कर सकते स्वयं विचार कीजिये | नारी का सम्मान और रक्षा करना किसी एक का कर्तव्य नहीं बल्कि सबका कर्तव्य भी हे और धर्म भी हे |

महा महिम भीष्म जिसे इच्छा मृत्यु का वरदान था वो सदैव धर्म के मार्ग पर ही चलते थे लेकिन जब श्री कृष्ण ने उन्हें मारने के लिए सुदर्शन चक्र धारण किया तब उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा की में तो सदैव सबका भला ही चाहा हे और सदैव धर्म का पालन ही किया हे फिर भी मुझे मारने के लिए आपने अपने प्रितज्ञा क्यों तोड़ी  

तब श्री कृष्ण ने कहा आप सदैव धर्म के मार्ग पर ही चले हे लेकिन जब द्रौपदी का वस्त्र हरण हो रहा था तब आप मौन क्यों रहे थे ? जबकि आपके पास बल भी था और सामर्थ्य भी था

जो समाज  नारी सम्मान की रक्षा नहीं कर पाता और मौन रहता हे उसे मृत्यु दंड देना आवश्यक हो जाता हे | यदि आज भी हम नारी का सम्मान करने में मौन रह गए तो महाभारत होना अनिवार्य बन जायेगा |

यदि भारत की वैदिक परंपराओ का अध्ययन करे तो यही निष्कर्ष निकलता है कि भारतीय परम्परा एवं संस्कृति में पत्नी को पति के तुल्य माना गया है | वेदो में वर्णन है की पत्नी के साथ ही पति को यज्ञ करने का अधिकार है नारी के बिना नर का जीवन अधूरा है l

अर्थववेद में  कहा गया है

यत नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्त तत्र देवता:
यत्रेतास्तु पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: :क्रिया: l

अर्थात जिल कुल में नारी की पूजा अर्थात सत्कार होता है उस कुल में दिव्य गुण वाली संतान होती है और जिस कुल में स्त्रियों के पूजा नहीं होती वहां सभी क्रिया निष्फल है |

अंतिम बात :

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