कैसे पड़ा कृष्ण का नाम रणछोड़ | Ranchhod Krishna Story in hindi

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कैसे पड़ा कृष्ण का नाम रणछोड़ -Krishna ranchod Story in hindi

कैसे पड़ा कृष्ण का नाम रणछोड़ : आखिर भगवान श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है रणछोड़ ? ये जानना चाहते हो तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें. क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको श्रीकृष्ण का नाम रणछोड़ कैसे पड़ा इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.

मुचुकुन्द त्रेता युग में इक्ष्वाकु वंश के राजा थे। मुचुकुन्द ने देवताओं का साथ देकर और दानवों का संहार किया था जिसके कारण देवता युद्ध जीत गए। तब इन्द्र ने उन्हें वर मांगने को कहा। उन्होंने वापस पृथ्वीलोक जाने की इच्छा व्यक्त की।

कहानी :कैसे पड़ा कृष्ण का नाम रणछोड़
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी
कहानी से सीख :

तब इन्द्र ने उन्हें बताया कि पृथ्वी पर और देवलोक में समय का बहुत अंतर है जिस कारण अब वह समय नहीं रहा और सब बंधू मर चुके हैं उनके वंश का कोई नहीं बचा। यह जान मुचुकंद दु:खी हुए और वर माँगा कि उन्हें सोना है। तब इन्द्र ने वरदान दिया कि किसी निर्जन स्थान पर सो जाये और यदि कोई उन्हें उठाएगा तो मुचुकंद की दृष्टि पड़ते ही वह भस्म हो जायेगा।

कैसे पड़ा कृष्ण का नाम रणछोड़ | Ranchhod Krishna Story

कालयवन एक पौराणिक चरित्र है जो यवन देश का राजा था। जन्म से ब्राह्मण, पर कर्म से म्लेच्छ (मलेच्छ) था। शल्य ने जरासंध को यह सलाह दी कि वे कृष्ण को हराने के लिए कालयवन से सहायता मांगे। और कालयवन युद्ध के लिए तैयार हो गया और अपनी सेना लेकर चल पड़ा | जब कालयवन ने श्री कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा तब श्री कृष्ण ने युक्ति से उन्हें अकेले में युद्ध करने के लिए कहा और

जब कालयवन भगवान् श्रीकृष्ण की ओर दौड़ा, तब वे दूसरी ओर मुंह करके रणभूमि से भाग चले और उन योगिदुर्लभ प्रभु को पकडऩे के लिए कालयवन उनके पीछे-पीछे दौडऩे लगा। इस तरह रणभूमि से भागने के कारण ही उनका नाम रणछोड़ पड़ गया भगवान् लीला करते हुए भाग रहे थे, कालयवन पग-पग पर यही समझता था कि अब पकड़ा, तब पकड़ा।

इस प्रकार भगवान् बहुत दूर एक पहाड़ की गुफा में घुस गए। उनके पीछे कालयवन भी घुसा। वहां उसने एक दूसरे ही मनुष्य को सोते हुए देखा। उसे देखकर कालयवन ने सोचा ”देखो तो सही, यह मुझे इस प्रकार इतनी दूर ले आया और अब इस तरह-मानो इसे कुछ पता ही न हो, साधु बाबा बनकर सो रहा है।

यह सोचकर उस मूढ़ ने उसे कसकर एक लात मारी। वह पुरुषबहुत दिनों से वहां सोया हुआ था। पैर की ठोकर लगने से वह उठ पड़ा और धीरे-धीरे उसने अपनी आंखें खोलीं। इधर-उधर देखने पर पास ही कालयवन खड़ा हुआ दिखाई दिया। वह पुरुष इस प्रकार ठोकर मारकर जगाए जाने से कुछ रुष्ट हो गया था।

उसकी दृष्टि पड़ते ही कालयवन के शरीर में आग पैदा हो गई और वह क्षणभर में जलकर राख का ढेर हो गया।

मुचुकुन्द को यह वर मिला था कि जो कोई उन्हें सोते से उठायेगा वह उनकी दृष्टि पड़ते ही भस्म हो जायगा। कृष्ण ने ऐसा किया कि कालयवन मुचुकुन्द द्वारा भस्म कर दिया गया।

अंतिम बात :

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