Happy Diwali 2023 | दिवाली का त्यौहार मना ने का महत्व

14

भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का प्रतिक माना जाता है क्योंकि वो स्वयं जलता है,पर दूसरों को प्रकाश देता है।

दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है।

Happy Diwali 2020 | दिवाली का त्यौहार मना ने का महत्व

Happy Diwali

ये भी कहा जाता है कि दीपदान से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है। दीपक को सूर्य का भाग ‘सूर्यांश संभवो दीप:’ कहा जाता है।

रोशनी का त्योहार दीपावली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। भारतवर्ष में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है।इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। यह त्योहार 5 दिनों तक चलने वाला एक महापर्व है। दिवाली का त्योहार देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। आज हम आपको दिवाली मनाने के कारण के बारे में बताएंगे।

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली के दिन ही श्री राम जी वनवास से अयोध्या लौटे थे। मान्यता है अयोध्या वापस लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई थी। मंथरा की गलत विचारों से भ्रमित होकर भरत की माता कैकई ने श्री राम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनबद्ध कर देती है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने पिता के आदेश को मानते हुए अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास पर निकल गए। अपनी 14 वर्ष की वनवास पूरा करने के बाद श्री राम जी दिवाली के दिन अयोध्या वापस लौटे थे। राम जी के वापस आने की खुशी में पूरे राज्य के लोग रात में दीप जलाए थे और खुशियां मनाए थे। उसी समय से दिवाली मनाई जाती है।

हिन्दू महाग्रंथ महाभारत के अनुसार कौरवों ने शतरंज के खेल में शकुनी मामा के चाल की मदद से पांडवों का सब कुछ जीत लिया था। इसके साथ ही पांडवों को राज्य छोड़कर 13 वर्ष के वनवास पर भई जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमवस्या को पांडव 13 वर्ष के वनवास से वापस लौटे थे। पांडवों के वापस लौटने की खुशी में राज्य के लोगों ने दिये जलाकर खुशियां मनाई थी।

नरकासुर प्रागज्योतिषपुर नगर का राजा था। उसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया था। नरकासुर ने संतों आदि की 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं और संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इसी खुशी में लोगों ने दूसरे दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को अपने घरों में दिपक जलाए। तभी से नरक चतुर्दशी तथा दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

समुंद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी जी ने अवतार लिया था। लक्ष्मी जी को धन और समृद्धी की देवी माना जाता है।इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और ऐसा माना जाता है कि अगर सच्चे मन से इस दिन मां की पूजा की जाए तो घर में पैसों की कमी नहीं होती है. इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा होती है। दीपावली मनाने का ये भी एक मुख्य कारण है।

दीपावली का दिन लोगों को याद दिलाता है कि सच्चाई और भलाई की हमेशा ही जीत होती है.

धारणाओं के मुताबिक इस दिन पटाखे फोड़ना शुभ होता है और इनकी आवाज पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की खुशी को दर्शाती है, जिससे की देवताओं को उनकी भरपूर स्थिति के बारे में पता चलता है.

इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और ऐसा माना जाता है कि अगर सच्चे मन से इस दिन मां की पूजा की जाए तो घर में पैसों की कमी नहीं होती है.

इस अवसर पर लोग उपहारों का आदान प्रदान करते हैं और मिठाई से एक दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं और ऐसा करने से उनके बीच में प्यार बना रहता है. ये त्योहार लोगों को आपस में जोड़कर रखने का भी कार्य करता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here