Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi
श्रीमद्भगवद् गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर निरास हो जाता है और जीवन की समस्यायों से लड़ने की वजाय उससे भागने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत के महानायक थे, अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गए थे, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से विचलित होकर भाग खड़े होते हैं।
भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का अंतिम भाग उपनिषद कहा जाता है। गीता ज्ञान से मनुष्य के सारे मोह नष्ट हो जाते हे और आत्म ज्ञान से मृत्यु का भय भी नष्ट हो जाता हे
विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है। श्रीमद्भगवद् गीता न केवल पड़े अपितु अपने जीवन में अमल करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जायेंगे
- अर्जुनविषादयोग ~ अध्याय एक
- सांख्ययोग ~ अध्याय दो
- कर्मयोग ~ अध्याय तीन
- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय चार
- कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच
- आत्मसंयमयोग ~ छठा अध्याय
- ज्ञानविज्ञानयोग- सातवाँ अध्याय
- अक्षरब्रह्मयोग- आठवाँ अध्याय
- राजविद्याराजगुह्ययोग- नौवाँ अध्याय
- विभूतियोग- दसवाँ अध्याय
- विश्वरूपदर्शनयोग- ग्यारहवाँ अध्याय
- भक्तियोग- बारहवाँ अध्याय
- क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग- तेरहवाँ अध्याय
- गुणत्रयविभागयोग- चौदहवाँ अध्याय
- पुरुषोत्तमयोग- पंद्रहवाँ अध्याय
- दैवासुरसम्पद्विभागयोग- सोलहवाँ अध्याय
- श्रद्धात्रयविभागयोग- सत्रहवाँ अध्याय
- मोक्षसंन्यासयोग- अठारहवाँ अध्याय