Sankat Mochan Mahaveer Hanuman | हनुमानजी से सीख
हनुमान जी को कलियुग में सबसे प्रमुख ‘देवता’ माना जाता है। रामायण के सुन्दर कांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।हनुमान जी के बारे में तुलसीदास लिखते हैं, ‘संकट कटे मिटे सब पीरा,जो सुमिरै हनुमत बल बीरा’। यानी हनुमान जी में हर तरह के कष्ट को दूर करने की क्षमता है।
संघर्ष क्षमता
हनुमानजी जब माता सीता की खोज में समुद्र पार कर रहे थे, तब उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने हनुमानजी को समुद्र पार करने से रोकना चाहा था, लेकिन हनुमानजी नहीं रुके और लंका पहुंच गए। हमें भी कदम-कदम पर ऐसे ही संघर्षों का सामना करना पड़ता है। संघर्षों से न डरते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की सीख हनुमानजी से लेनी चाहिए।
कलयुग का अंत कैसे होगा ? | End Of Kaliyug According To Mythology
हनुमानजी भगवान् श्री राम को लंका पहुंचाने से लेकर अयोध्या आने तक निस्वार्थ भाव से हर काम में डटे रहे. यह हनुमानजी की भक्ति ही तो थी, जिसके लिए उन्होंने ये सब किया. दोस्तों जब आप सच्चे मन से निस्वार्थ कर्म करेंगे तो – हर वह असंभव कार्य, जो आप नहीं कर पा रहे थे, वह कार्य भी आप सरलता पूर्वक कर पाएंगे। निस्वार्थ कर्म करने से आपका मन सदैव ही शांत होगा
हनुमान जी की महानता - नीर अहंकारी
लंका से माता सीता का समाचार लेकर सकुशल वापस पहुंचे हनुमानजी की हर तरफ से प्रशंसा हुई, लेकिन उन्होंने अपने पराक्रम का कोई किस्सा प्रभु श्री राम को नहीं सुनाया। बल्कि अपने बल का सारा श्रेय प्रभु श्री राम के आशीर्वाद को दिया था । दोस्तों हम अक्सर अपनी प्रसंशा सुनने के लिए बेकाबू हो जाते हे और कई बार तो प्रशंशा सुनने के लिए हम अनावश्यक चीज़े भी बता देते हे
विवेक अनुसार निर्णय लेना
जिस समय लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए तब उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी पूरा पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वह संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे।और समय भी बहुत कम था इसीलिए शंका का समाधान करने के लिए पहाड़ ही उठा लाये दोस्तों हनुमान जी यहां हमें सिखाते हैं कि मनुष्य को शंका करने की बजाय शंका का समाधान करना चाहिए और हमें तत्काल विषम स्थिति में विवेकानुसार उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देते हैं
सामर्थ्य के अनुसार प्रदर्शन
लंका की अशोकवाटिका में हनुमान जी और मेघनाथ के बीच हुए युद्ध में मेघनाथ ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग किया। हनुमान जी चाहते, तो वह इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का तीव्र आघात सह लिया। और ब्रह्माजी का मान भी रख लिया दोस्तों हमे भी अपने जीवन में शक्ति एवं सामर्थ्य के अनुसार उचित प्रदर्शन का गुण हनुमानजी से सीख सकते हैं
और उसके अलावा हनुमानजी ने हर कार्य में भगवान् श्रीराम जी को बार-बार याद किया। और हर कार्य में सफल रहे उससे हमे भी यह सीख मिलती हे की हमे भी अपने हर अभियान में सफल बनने के लिए परमात्मा को निरंतर याद करना चाहिए
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