Swastik Mantra | स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा | स्वस्तिक मंत्र

125182
स्वस्तिक मंत्र - Swastik Mantra

चाहे कोई भी पूजा हो शादी हो कोई हवन हो या फिर घर का मुहूर्त हो इस एक Swastik Mantra मंत्र को आपने जरूर सुना होगा। स्वस्तिक मंत्र : ऊं स्वस्ति न इंद्रो..को शांत मन के साथ, अपने आप को प्रभु के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य की प्राप्ति और कीर्ति में बढ़ोतरी होती है

स्वस्तिक एक प्राचीन प्रतीक है जो हिंदू धर्म सहित दुनिया भर की कई संस्कृतियों में शुभता, कल्याण और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करता है।

हिंदू धर्म में, स्वस्तिक चिन्ह का उपयोग अक्सर धार्मिक समारोहों और मंदिरों में किया जाता है। यह सूर्य, समृद्धि और जीवन और सृष्टि के शाश्वत चक्र से जुड़ा है। स्वस्तिक की चार भुजाएं चार दिशाओं का प्रतीक हैं, जो सभी चीजों के परस्पर संबंध का प्रतिनिधित्व करती हैं।

स्तोत्र का नामस्वस्तिक मंत्र
संबंधितदेवता
भाषासंस्कृत और हिंदी
सूत्रपुराण

Swastik Mantra Meaning – स्वस्तिक मंत्र का अर्थ

स्वास्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वास्तिक चिह्न अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वस्तिक मंत्र या स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो।

ऐसा माना जाता है कि इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। मंत्रोच्चार करते हुए दर्भ से जल के छींटे डाले जाते थे तथा यह माना जाता था कि यह जल पारस्परिक क्रोध और वैमनस्य को शांत कर रहा है। स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया ‘स्वस्तिवाचन’ कहलाती है।‘स्वास्तिक’ शब्द का अर्थ = अच्छा’ या ‘मंगल’ करने वाला

स्वास्तिक’ शब्द में किसी व्यक्ति या जाति विशेष का नहीं, किन्तु  सम्पूर्ण विश्व के कल्याण या ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना निहित है।

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

Svasti Na Indro Vrddha-Shravaah | Svasti Nah Puussaa Vishva-Vedaah |
Svasti Nas-Taarkssyo Arisstta-Nemih | Svasti No Vrhaspatir-Dadhaatu ||
Om Shaantih Shaantih Shaantih ||

स्वास्तिक मंत्र का अर्थ : हे इंद्र देव, जो महान कीर्ति रखने वाले हैं वह हमारा कल्याण करें। सम्पूर्ण विश्व में ज्ञान के स्वरुप आप हैं पुषादेव हमारा कल्याण करें। जिसका हथियार अटूट है हे गरुड़ भगवान हमारा मंगल करो। हे ब्रहस्पति देव हमारा कल्याण करो।

ॐ असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

Swastik Mantra with Meaning:

Om Asato Maa Sad-Gamaya | Tamaso Maa Jyotir-Gamaya |
Mrtyor-Maa Amrtam Gamaya | Om Shaantih Shaantih Shaantih ||

“ॐ हम सभी को असत्य से सत्य की राह दिखाना, हम सभी को अज्ञानता से ज्ञान की और ले जाना, हम सभी को मृत्यु से अमरत्व तक ले चलना| ॐ शांति शांति शांति||”
(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥ 

સ્વસ્તિ મંત્ર : ૐ સ્વસ્તિ ન ઇન્દ્રો વૃદ્ધશ્રવાઃ | Swastik Mantra Meaning

ૐ સ્વસ્તિ ન ઇન્દ્રો વૃદ્ધશ્રવાઃ।સ્વસ્તિ નઃ પૂષા વિશ્વવેદાઃ।
સ્વસ્તિ નસ્તાર્ક્ષ્યો અરિષ્ટનેમિઃ।સ્વસ્તિ નો બ્રિહસ્પતિર્દધાતુ ॥
ૐ શાન્તિઃ શાન્તિઃ શાન્તિઃ ॥

અર્થ: હે મહાન ખ્યાતિના ઇન્દ્ર, અમારું ભલું કરો, હે પુષદેવ, વિશ્વના જ્ઞાનના મૂર્ત સ્વરૂપ, અમારું ભલું કરો. ભગવાન ગરુડ, જેમનું શસ્ત્ર અતૂટ છે, તે આપણને આશીર્વાદ આપે. ગુરુ આપણને આશીર્વાદ આપે.

ॐ એ નો ભદ્રઃ ક્રતવો યન્તુ વિશ્વતો’દબ્ધસો અપરિતાસ ઉદ્ભિદાઃ।
આપણે વૃદ્ધાવસ્થામાં જીવીએ છીએ ત્યારે સ્વર્ગમાં દેવતાઓ આપણા રક્ષક છે (1)

અર્થ – ચારે બાજુથી એવા કલ્યાણકારી વિચારો આવવા દો જે કોઈનાથી પ્રભાવિત ન હોય, ગમે ત્યાંથી અવરોધિત ન થઈ શકે અને અજાણ્યા વિષયો પ્રગટ ન કરી શકે. જે ભગવાન ક્યારેય પ્રગતિમાં અવરોધ નથી લાવતા અને હંમેશા આપણું રક્ષણ કરવા તૈયાર છે, તે આપણને દરરોજ વિકાસ કરવામાં મદદ કરવા તૈયાર રહે.

योग साधना की शुरुआत में की जाने वाली प्रार्थना:

ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु
सर्वेशां शान्तिर्भवतु
सर्वेशां पुर्णंभवतु
सर्वेशां मङ्गलंभवतु
लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
हरि ॐ ! श्री गुरुभ्यो नम: ! हरि ॐ

स्वस्तिक मंत्र कब बोला जाता है?

  1. स्वस्ति मंत्र किसी भी पूजा के प्रारंभ में किया जाना चाहिए।
  2. स्वस्ति मंत्र के पश्चात सभी दसों दिशाओं में अभिमंत्रित जल या पूजा में प्रयुक्त जल के छीटें लगाने चाहिए।
  3. नए घर मे प्रवेश के समय भी ऐसा करना मंगलकारी होता है।
  4. विवाह के विधिविधान में भी स्वस्ति वाचन का महत्व है।

स्वस्तिक मंत्र (स्वस्तिवाचन) का अर्थ क्या होता है?

हमारे पास चारों ओर से ऐंसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। स्वस्तिक मंत्र में चार बार स्वस्ति शब्द आता है जिसका मतलब होता है कि इसमें भी चार बार मंगल और शुभ की कामना से श्री गणेश का ध्यान और आवाहन किया गया है। स्वस्ति वाचन के प्रथम मन्त्र में लगता है स्वस्तिक का ही निरूपण हुआ है। उसकी चार भुजाओं को ईश्वर की चार दिव्य सत्ताओं का प्रतीक माना गया है।

शांति मंत्र (Shanti Mantra)

यजुर्वेद के इस शांति पाठ मंत्र के पठन से साधक परमात्मा से शांति बनाये रखने की प्रार्थना करता है। ब्राह्मण या कोई भी भक्त किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस शांति पाठ के मंत्रों का मंत्रोच्चारण करते हैं।

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में,
अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में,
सकल विश्व में अवचेतन में!
शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन, नगर, ग्राम और भवन में
जीवमात्र के तन, मन और जगत के हो कण कण में,
हे परमपिता परमेश्वर शांति हो, शांति हो, शांति हो।

May peace radiate there in the whole sky as well as in the vast ethereal space everywhere.
May peace reign all over this earth, in water and in all herbs, trees and creepers.
May peace flow over the whole universe.
May peace be in the Supreme Being Brahman.
And may there always exist in all peace and peace alone.
Om Shanti, Shanti, Shanti to us and all beings!

FAQs for Swastik Mantra

  • स्वस्तिक मंत्र क्या है?

    स्वस्तिक मंत्र, जो कि स्वस्तिक चिन्ह के साथ जुड़ा हुआ है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख मंत्र है। स्वस्तिक मंत्र का उच्चारण और जप धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा के दौरान किया जाता है। यह मंत्र संस्कृत भाषा में बोला जाता है और विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जप किया जाता है।

  • स्वस्तिक मंत्र कब बोला जाता है?

    चाहे कोई भी पूजा हो शादी हो कोई हवन हो या फिर घर का मुहूर्त हो स्वस्तिक मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जब भक्त देवता की पूजा करते हैं तो स्वस्तिक मंत्र का जप करके उनसे कृपा और आशीर्वाद मांगा जाता है। किसी भी कार्य को प्रारम्भ करते यह मंत्र पाठ कर हम मंगल की कामना करते हैं।

निष्कर्ष :

दोस्तो अगर आपको “Swastik Mantra – स्वस्तिक मंत्र” पसंद है तो कृपया इसे अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें। आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए गाने के बोल लाने के लिए प्रेरित करता है

अगर आप अपने किसी पसंदीदा गाने के बोल चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें बेझिझक बताएं हम आपकी ख्वाइस पूरी करने की कोशिष करेंगे धन्यवाद!🙏 जय श्री राम 🙏

2 COMMENTS