श्री महागणेश की कहानी | Shree Ganesh Story – Ganesh Leela

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Shree Ganesh Story

श्री महागणेश की कहानी : भगवान श्री गणेश हर विघ्न बाधा को दूर कर करते हैं। भगवान गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र हैं। श्री महागणेश का नाम हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले लिया जाता है।

वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ऊँ गं गणपतये नमो नमः   ऊँ गं गणपतये नमो नमः    ऊँ गं गणपतये नमो नमः

अर्थात्- आपका एक दांत टूटा हुआ है तथा आप की काया विशाल है और आपकी आभा करोड़ सूर्यों के समान है। मेरे कार्यों में आने वाली बाधाओं को सर्वदा दूर करें।

कहानी :श्री महागणेश की कहानी
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

श्री महागणेश की कहानी – Shree Ganesh Story in Hindi

भगवान गणेश देवो के देव महादेव शिव के पुत्र हैं। भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रतीक देवों में भगवान गणेश का प्रमुख स्थान हैं। एकदंत, गजानन, लंबोदर, गणपति, विनायक ऐसे सहस्र नामों से भगवान गणेश को पुकारा गया है। हिंदू धर्म में श्रीगणेश की महिमा को अन्य देवताओं की तुलना में अलग से स्वीकारा गया हैं। वेदों और पुराणों में गणेश को यश, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, ऐश्वर्य, सौभाग्य, सफलता, धन, धान्य, बुद्धि, विवेक और ज्ञान के देवता बताया गया है

Shree Ganesh Story : शिवपुराण के अनुसार श्री महागणेश की कहानी

शिव पुराण के अनुसार पार्वती जी ने अपने शरीर के अनुलेप से एक मानवाकृति निर्मित की और उसे आज्ञापति किया कि मैं स्नान करने जा रही हूँ जब तक न कहूँ तक तक तुम किसी को अन्दर मत आने देना । यही गृहद्वार रक्षक शक्ति “गणेश” के नाम सेअभिहित हुई और इन्हीं के साथ भगवान शंकर का संग्राम हुआ ।

गणपति अथर्वशीर्ष एक नव्य उपनिषद् हैं और अथर्ववेद से सम्बन्धित हैं । इस उपनिषद् में गणेश विद्या बतलायी गयी है । इसी कारण गणेशोपासकों में वह अत्यन्त सम्मानित है । गणपति अथर्वशीर्ष में गणेशजी का सगुण ब्रह्मात्मक वर्णन तो है ही बल्कि उसके अन्त में उन्हें परब्रह्म भी कहा गया है। अथर्वशिरस उपनिषद् में रूद्र का अभिज्ञान अनेक देवताओं से किया गया है, जिनमें एक विनायक कहे गये हैं।

ब्रह्म वैवर्त पुराण, स्कन्द पुराण तथा शिव पुराण के अनुसार प्रजापति विश्वकर्मा की बुद्धि-सिद्धि नामक दो कन्याएं गणेश जी की पत्नियां हैं। सिद्धि से शुभ और बुद्धि से लाभ नाम के दो कल्याणकारी पुत्र हुए।

यही कारण है कि शुभ और लाभ ये दो शब्द आपको अक्सर उनकी मूर्ति के साथ दिखाई देते हैं तथा ये सभी जन्म और मृत्यु में आते है, गणेश जी की पूजा करने से केवल सिद्धियाँ प्राप्त होती है लेकिन इनकी भक्ति से पूर्ण मोक्ष संभव नहीं है

गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं– 

  1. सुमुख 
  2. एकदंत
  3. कपिल 
  4. गजकर्णक
  5. लंबोदर 
  6. विकट, 
  7. विघ्न-नाश
  8. विनायक 
  9. धूम्रकेतु
  10. गणाध्यक्ष
  11. भालचंद्र
  12. गजानन। 

उपरोक्त द्वादश नाम नारद पुराण में पहली बार गणेश के द्वादश नामवलि में आया है। विद्यारम्भ तथा विवाह के पूजन के प्रथम में इन नामो से गणपति की अराधना का विधान है।

  • पिता- भगवान शंकर
  • माता- भगवती पार्वती
  • भाई- श्री कार्तिकेय
  • बहन- अशोकसुन्दरी , मनसा देवीी , देवी ज्योति ( बड़ी बहन )
  • पत्नी-  बुद्धि-सिद्धि 
  • पुत्र- शुभ-लाभ
  • पुत्री – संतोषी माता
  • मुख्य अस्त्र – परशु , रस्सी
  • वाहन – मूषक
  • प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू
  • प्रिय पुष्प- लाल रंग के
  • प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब), शमी-पत्र
  • अधिपति- जल तत्व के

सभी विघ्न दूर करने के लिए गणेश भक्त बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं | सच्चे मन से श्रीमहागणेश की पूजा करने से भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती हे 

अंतिम बात :

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