रामायण में छुपे अद्भुत रहस्य | Ramayan Jay Shree Ram
लोग अपने घरों में रामायण का पाठ करवाते हैं जब किसी मंदिर में रामायण का पाठ होता है तो बड़ी ही श्रद्धा के साथ सुनते हैं। यहां तक की टीवी पर आने वाली रामायण भी लोगों के लिए कलाकारों द्वारा बनाया गया नाटक ही नहीं बल्कि लोग उसमें पूर्ण आस्था रखते हैं और रामायण शुरू होते ही सारा कार्य छोड़ कर टीवी खोलकर बैठ जाते हैं।
रामायण से सबसे बड़ी सीख हमें मिलती है कि बुराई से सदैव दूर रहना चाहिए। हर कार्य को सच्चे और अच्छे मन से करना चाहिए। रामायण से सीख मिलती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली या बड़ी क्यों न हो एक न एक दिन अच्छाई की विजय अवश्य होती है। जब कोई व्यक्ति बुरा कार्य करता है तो उसे लगता है कि कोई उसे नहीं देख रहा है लेकिन रामायण के अनुसार जब आप कोई बुरा कार्य करते हैं, तो उसे दो लोग देख रहे होते हैं, एक स्वयं और दूसरा काल पुरुष या ईष्टदेव। इसलिए बुरे कर्म करने से सदैव बचना चाहिए।
प्रभु श्री राम ने राजमहल के सुख त्याग कर अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए चौदह वर्षों का कठिन वनवास धारण किया। प्रभु श्री राम के साथ जनक पुत्री माता सीता ने भी सभी सुखों का त्याग करते हुए। पतिव्रता के कर्तव्य का निर्वहन किया और प्रभु श्री राम के साथ वन को गई।
तो वही छोटे भाई लक्ष्मण भी सभी सुखों को त्याग कर अपने भ्राता श्री की सेवा करने उनके साथ चले गए। लक्ष्मण जी की पत्नी उर्मिला ने चौदह वर्षों तक अपने पति से दूर रहकर सभी सुखों का त्याग किया। तो वहीं भरत ने एक सेवक की तरह राम जी की चरण पादुका को सिंहासन पर रखकर राज्य की सेवा की।
भरत की पत्नी मांडवी नें भी सभी सुखों का त्याग करते हुए साधवियों जैसा जीवन व्यतीत किया। यह सब देखते हुए शत्रुध्न भी अपनी पत्नी सुकीर्ति से दूर हो गए। एक भाई पर संकट आने पर अलग-अलग माताओं की संतान होने पर भी सभी भाईयों के साथ उनकी पत्नियों ने भी सभी सुखों का त्याग किया था।
इससे सीख मिलती है कि हमें अपने परिवार के प्रति त्याग की भावना रखनी चाहिए। स्वार्थी नहीं बनना चाहिए। और संकट के समय एक दूसरे का साथ देना चाहिए।
प्रभु श्रीराम की रामायण से सीख मिलती है कि हमें किसी के प्रति ऊंच-नीच की भावना नहीं रखनी चाहिए। संसार में सभी एक समान हैं। प्रभु राम ने वन में रहते हुए शबरी के जूठे बेर खाएं। वे वन में वनवासियों और आदिवासियों की तरह ही रहे। उन्होंने केवट, जटायु, संपाती, शबरी, वानर, रीछ आदि सभी जनजातियों ने साथ एक समानता का व्यवहार किया। मनुष्य के साथ उन्होंने पशु-पक्षियों से भी एक जैसा विनम्र व्यवहार किया। रामायण के हर पात्र में यही भावना दिखती है। हमें भी इस सीख का अनुसरण अपने जीवन में करना चाहिए।