आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर? | Meghnaad Ramayan

303
आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर

दोस्तों आज हम बताने जा रहे हे रामायण काल की एक कथा – आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर | आपने सुना होगा की मेघनाद का कटा हुआ सर हसने लगा था |महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हिंदू धर्मग्रंथ ‘रामायण’ में ये उल्लेख मिलता है

कहानी :आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर?
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

Meghnaad Ramayan – आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर?

मेघनाद, श्रीराम और लक्ष्मण को मारना चाहता था। युद्ध के दौरान उसने श्रीराम और लक्ष्मण को मारने के सारे प्रयत्न किए लेकिन वह विफल रहा। इसी युद्ध में लक्ष्मण के घातक बाणों से मेघनाद मारा गया। लक्ष्मण जी ने मेघनाद का सिर उसके शरीर से अलग कर दिया।

तत्पश्चात उसका कटा हुआ सिर श्रीराम के आगे रखा गया। उसे देखकर वानर और रीछ आश्चर्यचक्ति रह गए । भगवान् श्रीराम ने कहा, ‘इसके सिर को संभाल कर रखो। दरअसल, श्रीराम मेघनाद की मृत्यु की सूचना मेघनाद की पत्नी सुलोचना को देना चाहते थे। उन्होंने मेघनाद की एक भुजा को, बाण के द्वारा मेघनाद के महल में पहुंचा दिया। वह भुजा जब मेघनाद की पत्नी सुलोचना ने देखी तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। उसने भुजा से कहा अगर तुम वास्तव में मेघनाद की भुजा हो तो मेरी दुविधा को लिखकर दूर करो।

इतना कहते ही भुजा हरकत करने लगी, उस कटे हुए हाथ ने तीर से लिखा की ये मेरा ही हाथ हे में ही मेघनाद हु रो क्यों रही हो प्रिये मुझे तो वीरगति प्राप्त हुए हे

लक्ष्मण साक्षात् भगवान् शेष का अवतार हे और उन्ही के हाथो मेरे प्राण गए हे इस जन्म में यही हमारी अंतिम भेट हे माता निकुंभला देवी से मेरी यही प्रार्थना हे की जन्मजन्मान्तर में तुम्हे ही अपनी पत्नी के रूप में पाउ

मेघनाद का कटा सिर हंसने लगा – Meghnaad Sulochna

अब सुलोचना को विश्वास हो गया कि युद्ध में उसका पति मारा गया है। सुलोचना इस समाचार को सुनकर रोने लगीं। फिर वह रथ में बैठकर रावण से मिलने चल पड़ी। रावण को सुलोचना ने, मेघनाद का कटा हुआ हाथ दिखाया और अपने पति का सिर मांगा। सुलोचना रावण से बोली कि अब में एक पल भी जीवित नहीं रहना चाहती में मेरे पति के साथ ही सती होना चाहती हूं।

तब रावण ने कहा, ‘पुत्री तुम प्रतिक्षा करो में मेघनाद का सिर शत्रु के सिर के साथ लेकर आता हूं। लेकिन सुलोचना को रावण की बात पर विश्वास नहीं हुआ। तब सुलोचना मंदोदरी के पास गई। तब मंदोदरी ने कहा तुम राम के पास जाओ, वह बहुत दयालु हैं।’

सुलोचना जब राम के पास पहुंची तो उसका परिचय विभीषण ने करवाया। सुलोचना ने राम से कहा, ‘हे राम में आपकी शरण में आई हूं। मेरे पति का सिर मुझे लौटा दें ताकि में सती हो सकूं। राम सुलोचना की दशा देखकर दुखी हो गए। उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे पति को अभी जीवित कर देता हूं।’ इस बीच उसने अपनी आप-बीती भी सुनाई।

सुलोचना ने कहा कि, ‘मैं नहीं चाहती कि मेरे पति जीवित होकर संसार के कष्टों को भोगें। मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आपके दर्शन हो गए। मेरा जन्म सार्थक हो गया। अब जीवित रहने की कोई इच्छा नहीं।’

राम के कहने पर सुग्रीव मेघनाद का सिर ले आए। लेकिन उनके मन में यह आशंका थी कि कि मेघनाद के कटे हाथ ने लक्ष्मण का गुणगान कैसे किया। सुग्रीव से रहा नहीं गया और उन्होंने कहा में सुलोचना की बात को तभी सच मानूंगा जब यह नरमुंड हंसेगा।

सुलोचना के सतीत्व की यह बहुत बड़ी परीक्षा थी। उसने कटे हुए सिर से कहा, 

‘हे स्वामी! ज्लदी हंसिए, वरना आपके हाथ ने जो लिखा है, उसे ये सब सत्य नहीं मानेंगे। इतना सुनते ही मेघनाद का कटा सिर जोर-जोर से हंसने लगा। इस तरह सुलोचना अपने पति का कटा हुए सिर लेकर चली गईं।

अंतिम बात :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने  पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | 

हमे उम्मीद हे की आपको यह Meghnaad Ramayan आर्टिक्ल पसंद आया होगा | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here