शिक्षापद रोचक कहानी | निंदा का परिणाम

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दोस्तों अक्सर हम दूसरों की निंदा करने में आनंद लेते हैं। लेकिन ऐसा करके हम जाने-अनजाने पाप के भागीदार बन जाते हैं। जिसका फल हमें भुगतना ही पड़ता है। दूसरों की निंदा करने का परिणाम क्या होता है ये हम एक कहानी के माध्यम से जानेंगे

निंदा का परिणाम कितना भयानक होता हे – Hindi Moral Story

दोस्तों एक समय की बात हे जब एक नगर में राजा ने ब्राह्मण भोजन का आयोजन किया गया था | राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था। उसी समय एक गिद्ध अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजर रहा था | अब पंजों से छुटकारा पाने के लिए सांप ने फुंफकार भरी और सांप के मुँह से जहर निकला और कुछ बुँदे खाने में गिर गयी और किसी को इस बात का पत्ता नहीं चला
मृत्यु अटल सत्य है | Spiritual Stories in Hindi

अब ये जहरीला खाना खाकर ब्राह्मणो की मृत्यु हो गयी | जब राजा को ब्राह्मणो की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से राजा को बहुत दुःख हुआ जबकि राजा का कोई दोष नहीं था

अब धर्मराज के लिए भी निर्णय करना मुश्किल हो गया की इस कर्म का भागीदार कौन हे ?

(1) राजा …. जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है राजा तो ब्राह्मणो की सेवा कर रहा था …. या

(2 ) रसोईया …. जो महाप्रसाद बना रहा था। …. या

(3) गिद्ध …. या फिर

(4) वह साँप …. जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ….

कर्म फल एक कहानी | Spiritual Story in Hindi
अब थोड़ी ही देर में कुछ और ब्राह्मण मदद के लिए राजा से मिलने नगर में आये क्योकि राजा बड़ा दयालु था और सबकी मदद भी करता था वह ब्राह्मण ने एक व्यक्ति से राजा के महल का रास्ता पूछा उस व्यक्ति ने ब्राह्मण को रास्ता बताते हुए कहा की हे ब्राह्मण ध्यान रखना वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।”

जैसे ही उस व्यक्ति ने ये शब्द कहे, उसी समय धर्मराज ने निर्णय ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस व्यक्ति के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा।

दोस्तों अब आपके मन में ये प्रश्न होगा की ब्राह्मणो की हत्या में उस व्यक्ति की कोई भूमिका नहीं थी फिरभी उसे क्यों पाप का फल भुगतना होगा

उसका जवाब यह हे की जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं पर उन ब्राह्मणों की हत्या से न तो राजा को, न रसोईये को, न गिद्ध को और न ही सांप को आनंद आया। ये सभी तो इस अपराध से अनजान थे। लेकिन महा पाप की इस दुर्घटना का इस व्यक्ति ने जोर-शोर से बखान कर जरूर मजा लिया,

दोस्तों अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया उसके बावजूद हमको किस बात का दंड मिल रहा है। यह दंड वही होता है, जो हम परनिंदा का पाप कर संचित करते रहते हैं।

दोस्तों इसलिये आज से ही संकल्प कर लें कि बिना जाने किसी की भी बुराई या चुगली कभी नहीं करनी चाहिए । हमें न केवल अपने तथा परिवार के लिये बल्कि मित्र, पड़ौसी तथा रिश्तेदारों के प्रति अच्छी सोच व उनके लिये मंगलकामना करना चाहिये। क्योंकि हम जैसा करेगें उसका फल वैसा ही होगा। अर्थात जैसी करनी वैसी भरनी

लेकिन यदि फिर भी हम ऐसा करते हैं तो हमें इसका फल आज नहीं तो कल जरूर भुगतना ही पड़ेगा !!!!

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