अर्जुन भीम और बलराम का अहंकार | Hanuman Krishna Leela

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Hanuman Krishna Leela

अर्जुन भीम और बलराम का अहंकार – Hanuman Krishna Leela

भगवान श्री कृष्ण के कहने पर हनुमानजी ने अर्जुन,भीम और बलराम का अभिमान नष्ट किया अहंकार एक बहुत बड़ा शत्रु हे बलराम ने द्वित को मरने के बाद अपनी शक्ति पर घमंड आ गया था वैसे ही अर्जुन को अपनी धनुर विद्या पर घमंड आ गया था

भीम का अहंकार  – Bheema Ego

पहले प्रसंग में आनंद रामायण का वर्णन है कि द्वापर युग में हनुमानजी भीम की परीक्षा लेते हैं। इसका बड़ा ही सुंदर प्रसंग है। महाभारत में प्रसंग है कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।

अर्जुन का अहंकार – Arjun Ego

दूसरा प्रसंग में वर्णन है कि अर्जुन के रथ पर हनुमान के विराजित होने के पीछे भी कारण है। एक बार किसी रामेश्वरम् तीर्थ में अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है।
अर्जुन ने कहा- आपके स्वामी श्रीराम तो बड़े ही श्रेष्ठ धनुषधारी थे तो फिर उन्होंने समुद्र पार जाने के लिए पत्थरों का सेतु बनवाने की क्या आवश्यकता थी? यदि मैं वहां उपस्थित होता तो समुद्र पर बाणों का सेतु बना देता जिस पर चढ़कर आपका पूरा वानर दल समुद्र पार कर लेता।


इस पर हनुमानजी ने कहा- असंभव, बाणों का सेतु वहां पर कोई काम नहीं कर पाता। हमारा यदि एक भी वानर चढ़ता तो बाणों का सेतु छिन्न-भिन्न हो जाता।

अर्जुन ने कहा- नहीं, देखो ये सामने सरोवर है, मैं उस पर बाणों का एक सेतु बनाता हूं। आप इस पर चढ़कर सरोवर को आसानी से पार कर लेंगे।
हनुमानजी ने कहा- असंभव। तब अर्जुन ने कहा- यदि आपके चलने सेतु टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा और यदि नहीं टूटता है तो आपको अग्नि में प्रवेश करना पड़ेगा।

तब अर्जुन ने अपने प्रचंड बाणों से सेतु तैयार कर दिया। और हनुमानजी ने एक ही पल में उस सेतु को तोड़ दिया और अर्जुन का अहंकार नष्ट हो जाता हे

बलराम का अहंकार  – Balaram Ego

तीसरे प्रसंग में बलराम का अहंकार नष्ट किया | बलराम ने द्वित को एक ही मुक्के में परास्त किया था उसके बाद बलराम को अपनी शक्ति पर घमंड आ गया था | हनुमानजी ने बड़ी ही चतुराई से बलराम जी का अह्म भी नष्ट किया था 

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