दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर | कर्ण और अर्जून – Karna Vs Arjun

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दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर

दोस्तों इस पोस्ट में हम बातएंगे दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरों के बारे में क्या आपको पता हे कर्ण और अर्जुन (Karna Vs Arjun) दोनों में से सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कौन हे ?

कहानी :दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर
शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी

धनुर्धर तो बहुत हुए हैं, लेकिन एक ऐसा भी धनुर्धर था, जिसकी विद्या से भगवान कृष्ण भी सतर्क हो गए थे। एक ऐसा भी धनुर्धर था जिसको लेकर द्रोणाचार्य चिंतित हो गए थे और एक ऐसा भी धनुर्धर था जो अपने एक ही बाण से दुश्मन सेना के रथ को कई गज दूर फेंक देता था।

दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरों

  • भगवान शंकर
  • भगवान श्री राम
  • भगवान श्री कृष्ण
  • लक्ष्मण
  • वीर बर्बरीक
  • अंगराज कर्ण
  • एकलव्य
  • अर्जुन

दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर – भगवान शिव श्रीराम श्रीकृष्ण लक्ष्मण बर्बरीक कर्ण और अर्जून

आप कितना ही सोचे कि कौन होगा भारत का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर तब भी आप शायद ही समझ पाएंगे क्योकि प्राचीन भारत में एक से बढ़कर एक सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे उन्होंने अपनी कलाओ का प्रयोग कुछ विषम परिस्थितियों में ही किया हे | हालांकि सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर का चयन करने का अधिकार हमे नहीं है हम तो बस उन सारे धनुर्धर की शक्ति के बारे में जानकर आपको बता रहे हे

निम्नलिखित दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरो की शक्ति आपको बताएँगे

01 भगवान शंकर (Bhagwan Shiv) :

संपूर्ण धर्म, योग और विद्याओं की शुरुआत भगवान शंकर से होती है और उसका अंत भी उन्हीं पर होता है। भगवान शंकर ने इस धनुष से त्रिपुरासुर को मारा था। त्रिपुरासुर अर्थात तीन महाशक्तिशाली और ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त असुर थे।

शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो। यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था। इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था।

देवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवराज इंद्र को दे दिया। राजा जनक के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवराज थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस धनुष को भगवान शंकर ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। उनके इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। लेकिन भगवान राम ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और इसे एक झटके में तोड़ दिया। 

02 भगवान श्रीराम (Bhagwaan Shreeram) :

एक बार समुद्र पार करने का जब कोई मार्ग नहीं समझ में आया तो भगवान श्रीराम ने समुद्र को अपने तीर से सुखाने की सोची और उन्होंने तरकश से अपना तीर निकाला ही था और प्रत्यंचा पर चढ़ाया ही था कि समुद्र के देवता प्रकट हो गए और उनसे प्रार्थना करने लगे थे।

भगवान श्रीराम को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है। हालांकि उन्होंने अपने धनुष और बाण का उपयोग बहुत ‍मुश्किल वक्त में ही किया।

03 भगवान श्रीकृष्‍ण (Bhagwan Shree Krishna) : 

भगवान श्रीकृष्ण सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी थे यह बात तब पता चली जब उन्होंने लक्ष्मणा को प्राप्त करने के लिए स्वयंवर की धनुष प्रतियोगिता में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में कर्ण, अर्जुन और अन्य कई सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरों ने भाग लिया था। 

द्रौपदी स्वयंवर से कहीं अधिक कठिन थी लक्ष्मणा स्वयंवर की प्रतियोगिता। भगवान श्रीकृष्ण ने सभी धनुर्धरों को पछाड़कर लक्ष्मणा से विवाह किया था। हालांकि लक्ष्मणा पहले से ही श्रीकृष्ण के अपना पति मान चुकी थी इसीलिए श्रीकृष्ण को इस प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा। श्रीकृष्ण के धनुष का नाम शारंग था। 

04 लक्ष्मण (Lakshman) :

राम के छोटे भाई लक्ष्मण को कौन नहीं जानता। लक्ष्मण ने अपने तीर से रेखा खींच दी थी। उस रेखा में ही इतनी ताकत थी कि कोई भी उसके उस पार नहीं जा सकता था। लक्ष्मण की धनुष विद्या के चर्चे दूर-दूर तक थे।

शास्त्रों अनुसार लक्ष्मण को श्रेष्ठ धनुर्धर माना गया है। लक्ष्मण ने राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद को हराया था जिसने युद्ध में इंद्र को परास्त कर दिया था इसीलिए मेघनाद को इंद्रजीत भी कहा जाता है।

05 बर्बरीक (Veer Barbaric) :

बर्बरीक महाभारत काल का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर था। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो युद्ध में हार रहा होगा।

भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना मात्र ही दिखाया। कृष्ण ने कहा कि यह जो वृक्ष है ‍इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा। बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया।

जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा, कृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा, लेकिन सभी पत्तों को छेदता हुआ वह तीर कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया।

तब बर्बरीक ने कहा प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं।

उसके इस चमत्कार को देखकर कृष्ण चिंतित हो गए। भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा। यदि कौरव हारते हुए नजर आए तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा और यदि जब पांडव बर्बरीक के सामने हारते नजर आए तो फिर वह पांडवों का साथ देगा। इस तरह वह दोनों ओर की सेना को एक ही तीर से खत्म कर देगा। 

06.कर्ण (Suryaputra Karna) :

वैसे तो महाभारत काल में सैकड़ों योद्धा हुए हैं, लेकिन कहते हैं कि युद्ध में कर्ण जैसा कोई धनुर्धर नहीं था। कवच और कुंडल नहीं दान में नहीं देते, तो कर्ण को मारना असंभव था।

कर्ण के अर्जुन और एकलव्य से श्रेष्ठ धनुर्धर होने का प्रमाण यह है कि कर्ण के तीर की इतनी ताकत थी कि जब वे तीर चलाते थे और उनका तीर अर्जुन के रथ पर लग जाता था तो रथ पीछे कुछ दूरी तक खिसक जाता था। भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते थे कि जिस रथ पर मैं और हनुमान विराजमान हैं उसके इस तरह पीछे धकेले जाने से पता चलता है कि कर्ण की धनुर्विद्या में बहुत बल है।दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर – भगवान शिव श्रीराम श्रीकृष्ण लक्ष्मण बर्बरीक कर्ण और अर्जून

07 एकलव्य (Eklavya) :

गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाकर, उस मूर्ति के समक्ष एकलव्य ने धनुष विद्या सिखी थी। गुरु द्रोण को जब इस बात का पता चला कि एकलव्य अर्जुन से भी श्रेष्ठ धनुष बाण चलाना सिख गया है, तो उन्होंने एकलव्य से पूछा कि तुमने यह विद्या कहां से सीखी। इस पर एकलव्य ने कहा- गुरुवर मैंने आपको ही गुरु मानकर आपकी मूर्ति के समक्ष इस विद्या को हासिल किया था

इस बात पर गुरु द्रोणाचार्य ने कहा कि तब तो हम गुरु दक्षिणा के हकदार हैं। एकलव्य यह सुनकर प्रसन्न हो गया और कहने लगा मांगिए गुरुदेव क्या चाहिए। गुरु द्रोणाचार्य ने कहा कि तुम जिस हाथ से प्रत्यंचा चढ़ाते हो मुझे उस हाथ का अंगूठा चाहिए। 

अर्जुन को दिए वचन की रक्षा के लिए ही उन्होंने एकलव्य से उसका अंगूठा मांग लिया था।

08 अर्जुन (Arjun) :

पांच पांडवों में से एक अर्जुन, जिसकी धनुर विद्या जग प्रसिद्ध थी। गुरु द्रोणाचार्य के श्रेष्ठ शिष्यों में से एक थे अर्जुन। गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को धनुष सिखाते वक्त वचन दिया था कि, तुमसे श्रेष्ठ इस संसार में कोई धनुर्धर नहीं होगा। अर्जुन के धनुष की टंकार से पूरा युद्ध क्षेत्र गुंज उठता था।

रथ पर सवार भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन को देखने के लिए देवता भी स्वर्ग से उतर गए थे। लेकिन अर्जुन से भी श्रेष्ठ कोई था जिसे दुनिया अर्जुन से श्रेष्ठ मानती है।

दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर – भगवान शिव श्रीराम श्रीकृष्ण लक्ष्मण बर्बरीक एकलव्य कर्ण और अर्जून | Arjun Vs Karna

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विश्व का सबसे बड़ा धनुर्धर कौन है?

विश्व के सबसे पहले धनुर्धर भगवान् शिव को माना जाता हे | शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो।

सबसे शक्तिशाली धनुष कौन था?

भगवान शिव का पिनाक धनुष सबसे श्रेष्ठ हे | भगवान शंकर ने इस धनुष से त्रिपुरासुर को मारा था। त्रिपुरासुर अर्थात तीन महाशक्तिशाली और ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त था ।

कर्ण के पास कौनसा धनुष था?

कर्ण के पास ‘विजय’ नामक धनुष था। विजय धनुष को भगवान सूर्य ने कर्ण को प्रदान किया था। इस धनुष की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यह किसी भी तरह के अस्त्र-शस्त्र से खंडित नहीं हो सकता था | विजय धनुष धारण करने के कारण कर्ण को विजयीधारी कहा जाता था।

निष्कर्ष :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि भगवान् शिव के “दुनिया के 8 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर – कर्ण और अर्जून” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके |

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