भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता है
हर व्यक्ति के मन में कभी ना कभी इस तरह के सवाल जरूर उठते हैं, कि आखिर अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता है। कभी-कभी जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है, तो मन में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर हमने किसी का क्या बिगाड़ा है, जो हमारे साथ ही बुरा हो रहा है। या कभी-कभी इस तरह के सवाल मन में उठते हैं कि, हम तो हमेशा ही धर्म के मार्ग पर चलते हैं फिर हमे मुश्किलों का सामना क्यो करना पड़ता है
जब श्रीकृष्ण से अर्जुन ने पूछा था कि जो इंसान सब का भला करता है जो इंसान अच्छा होता है एवं सदैव धर्म के मार्ग पर चलता है, उसे ही हमेशा मुश्किलों का सामना क्यों करना पड़ता है, हमेशा उसके साथ ही बुरा क्यों होता है?
इस वक्त उस दुष्ट को एक नोटो से भरी पोटली हाथ लगी, इतना सारा धन देखकर वह दुष्ट खुशी से पागल हो गया और बोला कि आज तो मज़ा ही आ गया। पहले मन्दिर से इतना धन मिला और फिर ये नोटों से भरी पोटली। दुष्ट की यह बात सुनकर वह व्यापारी दंग रह गया। उसने घर जाते ही घर मे मौजूद भगवान की सारी तस्वीरे निकाल दी और भगवान से नाराज़ होकर जीवन बिताने लगा। सालो बाद जब उन दोनों की मृत्यु हो गयी और दोनों यमराज के सामने गए तो उस व्यापारी ने नाराज़ स्वर में यमराज से प्रश्न किया कि मैं तो सदैव ही अच्छे कर्म करता था, जिसके बदले मुझे अपमान और दर्द मिला और इस अधर्म करने वाले दुष्ट को नोटो से भरी पोटली.आखिर क्यों? व्यापारी के सवाल पर यमराज बोले जिस दिन तुम्हारे साथ दुर्घटना घटी थी, वो तुम्हारी ज़िन्दगी का आखिरी दिन था, लेकिन तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गयी। वही इस दुष्ट को जीवन मे राजयुग मिलने की सम्भावनाएं थी, लेकिन इसके बुरे कर्मो के चलते वो राजयोग एक छोटे से धन की पोटली में बदल गया।
इस कहानी को सुनाने के बाद, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि भगवान हमें किस रूप में देते हैं इसको समझ पाना बहुत ही मुश्किल है, परंतु यह सत्य है कि भगवान हमेशा अच्छे और बुरे कर्मों का फल जरूर देते हैं। अतः व्यक्ति को चाहिए कि जीवन में आने वाली परेशानियों SE घबराना नहीं चाहिए। और व्यक्ति को सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए क्योंकि उसका फल किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है।