पत्ता पत्ता तिनका तिनका - Patta Patta Tinka Tinka ramayan song
पत्ता पत्ता, तिनका तिनका, जोड़ते जाते हैं ।
महलों के वासी जंगल में, कुटि बनाते हैं ।।
महलों के वासी जंगल में, कुटि बनाते हैं ।।
राजमहल में पाया जीवन, फूलों में लालन पालन ।
राजमहल के त्याग सभी सुख, त्याग अयोध्या त्याग सिंहासन ।।
कर्म निष्ठ हो अपना अपना, धर्म निभाते हैं ।
महलों के वासी जंगल में, कुटि बनाते हैं ।।
महलों के वासी जंगल में, कुटि बनाते हैं ।।
कहते हैं देवों ने आकर, भील किरात का भेष बनाकर ।
पर्णकुटी रहने को प्रभु के, रखदी हाथों हाथ सजाकर ।।
सिया राम की सेवा करके, पुण्य कमाते हैं ।
महलों के वासी जंगल में, कुटि बनाते हैं ।।
महलों के वासी जंगल में, कुटि बनाते हैं ।।
विधना तेरे लेख किसी की, समझ न आते हैं ।
जन जन के प्रिय, राम लखन सिय, वन को जाते हैं ।।
सबके कष्ट मिटाने वाले, कष्ट उठाते हैं ।
जन जन के प्रिय, राम लखन सिय, वन को जाते हैं ।।
स्वर : सतीश देहरा
गीत : रवीन्द्र जैन
संगीत : रवीन्द्र जैन
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