आज धर्म और पाप की लड़ायी है | Aaj Dharam Aur Paap Ki Ladayi Hai
डंका किसका बाजेगा, झंडा किसका झूका,
आज धर्म और पाप का लदाई है,
आज धर्म और पाप का लदाई है;
निर्नय की गादी अब आयी है,
निन्नै की घडी अब आवै है।
अग्नि लागी है प्रानो मैं प्रतिशोध की,
आज ना लगता है रावण के क्रोध की;
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रघुवीर हैं,
हम रन्न मेरे भी धीर वीर गंभीर की;
रावन कहत युधम देही,
राम देखी, मुस्कावन तेही;
प्रानो का मोह न, मृत्यु का भाय है,
महा समर न महा प्रलय है;
एक धर्म पथ गामी, एक लोभी खल कामी,
दूषन की आन तनकराई है,
आज धर्म और पाप का लदाई है,
निर्नय की गादी अब आयी है,
निन्नै की घडी अब आवै है।
राम और रावण दोन के, विपल भए बहू बन,
डोनो हाय रान बैनकुरे, डोनो हाय बलवान;
कौन विजये रहेगा, नाम किस्का मितेगा,
केहने मेरे बदी कथिनायी है,
आज धर्म और पाप की लड़ी है;
निर्नय की गादी अब आयी है,
निन्नै की घडी अब आवै है।
ज्यूंही संचे हुया दशानन युध को पुनी आ गया,
ले कर गुणचंद प्रपौध बीज राम राम तेकरा गया;
श्री राम के चहुँ ओकर चक्रकार सा इक छाँय गया ……
दिव्यास्त्र सब खण्डित हु, याह देख अहि चक्र गया ।।।।।
रावण को प्रभु कहल कि, युध कलन की सहद मिटावे;
छल बल मैया, रावण जान, मयापति को नहि पीचे;
कभी हेमात ना हरे, पुनी पली लालकरे,
अभिमन्य मैं बाहुध दुहाई,
आज धर्म और पाप का लदाई है,
निर्नय की गादी अब आयी है,
निन्नै की घडी अब आवै है।
स्वर- महेंद्र कपूर और
साथी गीत- रवींद्र जैन
संगीत- रवींद्र जैन"
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