श्रीरामजी की आरती | Shri ram Stuti | Shree Ram Aarti

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दोस्तों आज हम प्रभु श्रीरामजी की आरती लिरिक्स बताने वाले हे प्रभु श्रीराम ने जिन्होंने इस पूरे संसार को हर निकट परिस्तिथि का सामना कैसे करना है ये सिखाया और आज के युग मे किसी भी व्यक्ति को कोई भी परेशानी होती है तो उनके मुख से एक ही नाम निकलता है हे राम , जय श्री राम जो हर समस्या का सामना करने का साहस देता है

।।श्री राम स्तुति-आरती।। – SHREE RAM STUTI

Shri ram Stuti | Shree Ram Aarti
श्रीरामचंद्र कृपाल भजु मन हरण भव भय दारुणम् ।
नवकंजलोचन,कंजमुख,कर-कंज,पद-कंजारुणम्।१। श्रीराम-श्रीराम….
कंदर्प अगणित अमित छवि,नवनील-नीरद सुंदरम्।
पटपीट मानंहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुता-वरम्।२। श्रीराम-श्रीराम…..
भंजु दीनबंधु दिनेश दानव- दैत्यवंश- निंकदनम्।
रधुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ-नंदनम्।३। श्रीराम-श्रीराम…..
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदार अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर-चाप-धर,संग्राम-जित-खर-दूषणम्।४।श्रीराम-श्रीराम…..
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम्।
मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खल-दल-गंजनम्।५। श्रीराम-श्रीराम…..
छंद :
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

निष्कर्ष :
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हर हर महादेव

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