कंस श्रीकृष्ण कहानी – Kans Vadh Shree Krishna | श्रीकृष्ण लीला

262
कंस श्रीकृष्ण कहानी - Kans Vadh Shree Krishna

कंस श्रीकृष्ण कहानी : कंस वासुदेव से देवकी के आठवें पुत्र के बारे में सवाल करता है की क्या नंदराय का कृष्ण ही वही बालक है जिसे देवकी ने जनम दिया था। लेकिन वासुदेव कुछ नहीं बोलते जिससे क्रोधित हो कंस वासुदेव को कारागार में डाल देता है।

शैली :आध्यात्मिक कहानी
सूत्र :पुराण
मूल भाषा :हिंदी
कहानी :कंस श्रीकृष्ण कहानी

कंस श्रीकृष्ण कहानी

फिर कंस देवकी के पास जाता है और यही सवाल उससे भी करता है की नंदराय का पुत्र ही तुम्हारा आठवाँ पुत्र है। लेकिन देवकी भी इस बात से इनकार करती है तो कंस देवकी को भी वासुदेव के साथ कारागार में डाल देता है। कंस उन्हें सच बताने के लिए एक महीने का वक्त देता है। 

वासुदेव देवकी को कंस फिर से डाल देता है कारागार में 

वासुदेव देवकी के साथ कारागार में उन्हें बताते हैं की कृष्ण ही हमारा पुत्र है तो वह ये बात सुन बेहोश हो जाती है। कंस अपने सलाहकार को ऋषि गर्ग को अपने पास लेने के लिए भेजता है। 

कंस ऋषि गर्ग से मिलता है, ऋषि शांडिल्य से सवाल करता है की आप गोकुल क्यूँ गए थे और किसके बालक का नाम कारण संस्कार बिना आज्ञा के कैसे किया। तो ऋषि शांडिल्य उन्हें कुछ भी नहीं बताते और वह से चले जाते हैं।

कंस वध | Kans Vadh 

कसं श्री कृष्ण को मारने की साज़िश चाणुर के साथ मिल कर करता है। कंस श्री कृष्ण पर मदिरा से ग्रस्त हाथी से मारने की सलाह देता है, यदि वह हाथी से भी बच जाता है तो उसे मुषठी पहलवान से कुश्ती के लिए चुनौती देंगे और यदि वह पहलवानों से लड़ने के लिए तैयार हो गया तो उसे मुषठी पहलवान ही मार देगा।

मथुरा वासी श्री कृष्ण के आगमन पर उनके दर्शन के लिए एकत्रित हो जाते हैं। सभी श्री कृष्ण के स्वागत की तैयारी करने लगते हैं। श्री कृष्ण और बलराम के आगमन पर सभी मथुरा के नगर वासी उनका स्वागत करते हैं। देवकी वासुदेव श्री कृष्ण के आने से बहुत खुश होते हैं। अक्रूर श्री कृष्ण की सुरक्षा करने की तैयारी करता है।

श्री कृष्ण और बलराम शिव धनुष देखने के लिए जाते हैं। रस्ते में श्री कृष्ण को एक कुरूप कूबड़ी औरत मिलती हैं जिसका नाम कुब्जा मिलती है तो श्री कृष्ण उसे रूपवान स्त्री बना देते हैं। श्री कृष्ण शिव धनुष देखने के लिए शिव मंदिर पहुँच जाते हैं। श्री कृष्ण शिव धनुष को उठा कर उसे तोड़ देते हैं। और जब सिपाही उन पर हमला करते हैं तो वो सभी सैनिकों को उसी टूटे हुए शिव धनुष से मार देते हैं।

कंस को जब ये पता चलता है कृष्ण ने शिव धनुष तोड़ दिया है तो वो अधिक क्रोधित हो जाता है। गोकुल वासी और नंद कृष्ण की रक्षा हेतु मथुरा की ओर निकल पड़ते हैं। श्री कृष्ण से मिलने ऋषि गर्ग आते हैं और उनके चरण गंगा से धोते हैं। कंस को रात्रि में फिर से भयानक सपने आते हैं जिसमें उसे काल के दूत देखते हैं।

फिर उसे अपने सारे जीवन भर के क्रम याद आने लगते हैं। श्री कृष्ण जब अगले दिन कंस के उत्सव में भाग लेने जाते हैं तो रस्ते में कंस की योजना के तहत मदिरा से ग्रसित हाथी उनपर हमला कर देता है जिसे श्री कृष्ण ज़मीन पर पटक कर मार देते हैं। नंद राय और उनके गाँव के सभी लोग भी वह पहुँच जाते हैं और श्री कृष्ण से मिलते हैं।

उसके बाद श्री कृष्ण कंस के सामने आते हैं। कंस श्री कृष्ण का सम्मान करने के बहाने से उन्हें अपने पहलवानों से श्री कृष्ण के साथ मल्ल युद्ध करने की चुनौती देता है।

जिसे श्री कृष्ण स्वीकार कर लेते हैं। श्री कृष्ण और बलराम मिल कर दोनों उन पहलवानों से मल्ल युद्ध शुरू कर देते हैं। श्री कृष्ण कसं के पहलवानों को मल्ल युद्ध में हारा देते हैं और उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। जिसे देख कंस अपने सैनिकों को कृष्ण पर हमला करने की आज्ञा देता है जिसे देख अक्रूर के साथी और गोकुल वासी कंस की सेना से भिड़ पड़ते हैं।

कंस और श्री कृष्ण के बीच युद्ध होता है। श्री कृष्ण कसं को मार देते हैं। कंस के मरने के बाद श्री कृष्ण और बलराम देवकी और वसुदेव से मिलने कारागार में जाते हैं और उन्हें आज़ाद कर देते हैं।

अंतिम बात :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “कंस श्रीकृष्ण कहानी” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | हमने  पूरी कोशिष की हे आपको सही जानकारी मिल सके| आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | 

हमे उम्मीद हे की आपको यह आर्टिक्ल पसंद आया होगा | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here